Bermo: राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को लेकर प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। शनिवार को बेरमो में आयोजित एक प्रेस वार्ता में भाजपा नेता व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रिम्स अब भ्रष्टाचार की आग में झोंका जा रहा है और इसके पीछे सीधे तौर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की संदिग्ध भूमिका है।
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अपनी गरिमा खोता जा रहा रिम्स
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बाउरी ने कहा कि रिम्स झारखंड की 3.25 करोड़ जनता के इलाज का प्रमुख केंद्र है, लेकिन वर्तमान सरकार की राजनीतिक दखलअंदाजी और निजी हितों के चलते यह संस्थान अपनी गरिमा खोता जा रहा है। उन्होंने रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को बिना कारण व बिना जांच हटाए जाने को एक ईमानदार अधिकारी को निशाना बनाने की कार्रवाई बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि हेल्थमैप और मेडाल जैसी आउटसोर्सिंग कंपनियों के खिलाफ महालेखाकार (AG) की रिपोर्ट में फर्जी बिल, डॉक्टरों के जाली हस्ताक्षर और अन्य वित्तीय गड़बड़ियों का उल्लेख है, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री इन कंपनियों के बकायों के भुगतान का दबाव बना रहे थे। इसके अलावा, एमआरआई मशीन की निविदा को निरस्त कर मनचाहे ठेकेदार को लाभ दिलाने की भी कोशिश की जा रही थी। बाउरी ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति से आने वाले निदेशक के साथ कांग्रेस सरकार का यह व्यवहार बताता है कि बाबा साहब अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी की कथनी और करनी में भारी अंतर है।
उन्होंने मांग रखी कि:
1. रिम्स निदेशक को हटाने की प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच हो।
2. हेल्थमैप और मेडाल से जुड़े वित्तीय लेनदेन की सीबीआई जांच हो।
3. रिम्स की सेंट्रल लैब निर्माण में हो रही देरी की स्वतंत्र जांच करवाई जाए।
4. मुख्यमंत्री व राज्यपाल जनता के सामने पूरे मामले की जानकारी साझा करें।