Ranchi News— झारखंड में टेंडर घोटाले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अधीन आने वाले गृह विभाग में एक संगठित घोटाला चल रहा है, जिसमें टेंडर प्रक्रिया को एक तयशुदा तरीके से नियंत्रित कर चहेती कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है.
अजय साह ने दावा किया कि पिछले पाँच वर्षों में गृह विभाग में बड़े पैमाने पर टेंडर में गड़बड़ियाँ की गई हैं. उन्होंने बताया कि टेंडर सेटिंग और मनमाने ढंग से कंपनियों को चयनित करने का एक पूरा “सिंडिकेट” सक्रिय है, जिसे सरकार का संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने कहा, “एक मंत्री पहले ही टेंडर कमीशन मामले में जेल में है, और अब गृह विभाग से जुड़ा यह नया खुलासा हैरान करने वाला है.”
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तीन कंपनियों का खेल
भाजपा ने कई टेंडरों का हवाला देते हुए बताया कि टेंडर संख्या JEM/2022/B/2317532 में 23 में से 20 कंपनियों को तकनीकी आधार पर बाहर कर दिया गया और केवल कुछ ही कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में रखा गया. अजय ने खुलासा किया कि GEM/2022/B/2498791 सहित अन्य टेंडरों में जे.सी. माइकल (कोलकाता), अरिहंत कॉर्पोरेशन (पटना) और लाइफलाइन सिक्योरिटी (दिल्ली) जैसी कंपनियों को बार-बार ठेका मिला है.
उन्होंने यह भी बताया कि इन कंपनियों के मालिक आपस में जुड़े हुए हैं. उदाहरण के तौर पर, चिराग जैन, जे.सी. माइकल के डायरेक्टर हैं और अरिहंत ट्रेडिंग के भी प्रोप्राइटर हैं. वहीं जितेंद्र कोचर, जे.सी. माइकल और लाइफलाइन सिक्योरिटी दोनों के डायरेक्टर हैं. यह पूरा नेटवर्क एक अंदरूनी गठजोड़ की ओर इशारा करता है.
GeM नियमों का उल्लंघन
अजय साह ने कहा कि GeM (Government e-Marketplace) के नियमों के अनुसार एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग कंपनियों के जरिए टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकता. यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन और दंडनीय अपराध है.
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सीबीआई जांच की मांग
भाजपा प्रवक्ता ने जोर देते हुए कहा कि “जब गृह विभाग, जो पूरे राज्य की सुरक्षा और निगरानी का जिम्मेदार है, उसी में इतना बड़ा घोटाला हो रहा है और वह भी मुख्यमंत्री के प्रत्यक्ष नियंत्रण में — तो इसकी निष्पक्ष जांच केवल CBI या कोर्ट की निगरानी में ही संभव है.” उन्होंने मांग की कि पूरे प्रकरण की गहराई से जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए.
इस खुलासे ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है और राज्य सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्ष इस मुद्दे को सदन से लेकर सड़क तक उठाने की तैयारी में है.










