दादी पोते का रिश्ता अपने आप में ही काफी पवित्र रिश्ता माना जाता है. दादियां अक्सर पोतों के लिए अपनी निछावर कर देती है. कहा जाता है कि, मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है. दादियों के लिए उनके बच्चों से ज्यादा उनके पोता-पोती महत्व रखते है. देखा जाता है कि घर के बुढ़े-बुजुर्ग घर के बच्चों के साथ अपना ही बचपन पनः व्यतीत करते है. लेकिन, आज हम आपको बताएंगे ऐसी कलयुगी दादी के बारे में जिसने दादी और पोते को रिश्ते को कलंकित कर दिया है.
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दरअसल, उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले का एक विचित्र और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 52 वर्षीय महिला ने अपने ही पोते के उम्र के 25 वर्षीय युवक के साथ न केवल प्रेम संबंध बनाए, बल्कि परिवार और समाज के विरोध के बावजूद मंदिर में शादी भी कर ली. इंद्रावती, चार बच्चों की मां हैं. उसने 25 वर्षीय आजाद नामक युवक के साथ भागकर विवाह कर लिया. यह युवक उनके रिश्ते में पोते जैसा माना जाता है.
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सूचना के अनुसार, इंद्रावती की यह तीसरी शादी है. इससे पहले उन्होंने करीब 20 साल पहले चंद्रशेखर आजाद से शादी की थी, जिनसे उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. इसके अतिरिक्त, उनकी पहली शादी से एक और बेटी थी, जिसकी शादी चंद्रशेखर ने दो साल पहले करवाई थी. हालांकि, समय के साथ इंद्रावती और चंद्रशेखर के रिश्ते में खटास आ गई थी, और इसी दौरान उनका संपर्क आजाद से बढ़ गया, जिसके बाद दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. दिलचस्प यह है कि इंद्रावती और आजाद एक ही जाति से हैं, और समाज में ये दादी-पोते के समान माने जाते हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि इस रिश्ते की भनक पहले ही पुलिस और गांववालों को लग चुकी थी, और कुछ दिन पहले यह मामला पुलिस चौकी लहटोरवा तक पहुंचा था. बावजूद इसके, इंद्रावती और आजाद ने पिछले रविवार को गोविंद साहब मंदिर में जाकर शादी कर ली. जब यह खबर गांव में फैली, तो परिवार और दलित बस्ती के लोगों ने दोनों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया.
इंद्रावती के पति, चंद्रशेखर आजाद ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि वे अक्सर शहर से बाहर काम की तलाश में जाते थे, और इस दौरान उनकी पत्नी और युवक आजाद के बीच नजदीकियां बढ़ीं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इंद्रावती और आजाद ने मिलकर उन्हें और उनके बच्चों को जहर देकर मारने की साजिश रची थी, हालांकि समय रहते उन्हें इसका पता चल गया और उन्होंने अपनी और बच्चों की जान बचा ली.
यह पूरा मामला न केवल सामाजिक मर्यादाओं को चुनौती देता है, बल्कि रिश्तों की पवित्रता पर भी सवाल खड़े करता है. गांव में इस घटना को लेकर चर्चा का माहौल है, जबकि इंद्रावती और आजाद का यह रिश्ता अब भी परिवार और समाज द्वारा नकारा जा रहा है.