कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसएससी 2016 के तहत हुई लगभग 26 हजार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति को रद्द किए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक सभा से भारतीय जनता पार्टी और पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए दोनों दलों ने साजिश रची थी। इसी बीच मंगलवार को, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए पलटवार किया।
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ उठाकर वाम मोर्चा और भाजपा मिलकर पश्चिम बंगाल में शिक्षा के क्षेत्र को तबाह करना चाहते हैं। उन्होंने नौकरी से निकाले गए उम्मीदवारों को सतर्क करते हुए कहा कि वामपंथी नेता और वकील बिकाशरंजन भट्टाचार्य से सावधान रहें तथा भाजपा के झूठे वादों में न फंसें।
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ममता ने तृणमूल कांग्रेस का पक्ष रखते हुए याद दिलाया कि त्रिपुरा में भी भाजपा ने 2018 के चुनावों में सत्ता में आने के लिए 10 हजार बर्खास्त शिक्षकों को नौकरी लौटाने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने चेताया कि बंगाल में भी भाजपा केवल वोट बटोरने के लिए झूठे वादे कर रही है।
मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “यह वही सरकार है जिसने ओएमआर शीट जला दी थी। बाद में सीबीआई ने गाजियाबाद से वह दस्तावेज बरामद किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चलते ही सीबीआई इस कार्रवाई को कर पाई।”
उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “मुख्यमंत्री खुद कलकत्ता बार की सदस्य हैं। अगर सच में योग्य उम्मीदवारों की चिंता है तो सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर ओएमआर शीट लेकर क्यों नहीं पेश होतीं?”
ममता बनर्जी ने भाजपा नेताओं को ‘दुमुंहा सांप’ करार देते हुए कहा कि त्रिपुरा में जिन शिक्षकों से वादे किए गए थे, उन्हें वापस नौकरी नहीं दी गई, बल्कि विरोध करने पर उनका दमन किया गया। वहीं शुभेंदु अधिकारी ने पलटवार करते हुए तृणमूल सरकार को ही दोषी ठहराया और दावा किया कि यदि भाजपा सत्ता में आई, तो योग्य उम्मीदवारों को नौकरी देंगे। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई अगर सबसे ज्यादा दो तरह की बात करता है तो वह ममता बनर्जी है।