नई दिल्ली। बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को सही ठहराते हुए बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। बिहार सरकार ने हलफनामे में कहा है कि आम जनता या लोकसेवक किसी की भी हत्या होने के मामले में सजा का प्रावधान समान है, ऐसे में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ इसलिए छूट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित लोक सेवक था।
बिहार सरकार ने कहा है कि उसने आनंद मोहन की माफी पर नीति और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विचार कर रिहा किया है। बिहार सरकार ने कहा है कि राज्य की सजा में छूट की नीति में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमित गुंजाइश है। बिहार सरकार ने कहा है कि आनंद मोहन ने अपनी कैद के दौरान तीन किताबें लिखीं और जेल में सौंपे गए कार्यों का भी निर्वहन किया।
इससे पहले कोर्ट ने 08 मई को बिहार सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकार्ड दाखिल करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता और जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा और तान्याश्री ने आनंद मोहन की रिहाई को रद्द कर उसे फिर से जेल भेजे जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन का जेल में व्यवहार को तो ध्यान में रखा गया लेकिन दोषी के पूर्व के इतिहास को नजरअंदाज किया गया। ऐसा करना लोकहित के खिलाफ है। बिहार सरकार का ये कदम लोकसेवकों को मनोबल तोड़नेवाला है। हाल ही में बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में किये गये संशोधन के चलते ये रिहाई संभव हो पाई है।
याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत है। आनंद मोहन की रिहाई का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया है। तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या 5 दिसंबर 1994 को हुई थी।