कोडरमा। रांची स्थित नामकुम में 9 से 11 जनवरी तक चल रहे माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का तीन दिवसीय राज्य सम्मेलन में सीपीएम के जिला सचिव असीम सरकार ने माईका स्क्रैप (ढ़िबरा) की खरीद पर प्रस्ताव रखते हुए कहा कि अभ्रक का अवशेष (ढ़िबरा) पर कोडरमा व गिरिडीह के 4 लाख लोग निर्भर है. माईका स्माॅल मिनरल में आता है, जिसमें कई तरह की छूट मिलती है और खनन कानून में 4 फीट नीचे से निकलने वाले खनिज पर यह लागू होता है।
अभ्रक खदान के स्क्रैप अथवा ढ़िबरा को चुनकर छोटे-छोटे खरीदकर को बेचते हैं, जिसका प्रोसेसिंग कर निर्यात होता है। वहीं केन्द्र सरकार को इससे बड़ी आमदनी होती है, पर सरकार की उपेक्षा और अफसरशाही का शिकार पूरा ढ़िबरा व्यवसाय पर पड़ रहा है। राज्य सरकार ने ढ़िबरा पर पाॅलिसी तो बनाई है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोडरमा में एक साल पूर्व ढ़िबरा लदे ट्रक को रवाना किया, इसके बावजूद लिथियम के बहाने काम शुरू नहीं हुआ। जिसके कारण एक तरफ चार लाख से अधिक स्वतंत्र मजदूरों का रोजगार प्रभावित हुआ और दूसरी तरफ माफिया तत्वों द्वारा खुलेआम ढ़िबरा की तस्करी हो रही है।
वहीं झारखंड सरकार अपनी नीतियों अपने नीति के अनुरूप काॅपरेटिव के माध्यम से मजदूरों से ढ़िबरा खरीद का काम अविलंब शुरू करे, जिससे कि लाखों मजदूरों को रोजगार की गारंटी हो, जिससे राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो सकें। साथ ही राज्य सरकारों को अपने भ्रष्ट अफसरों पर रोक लगाना होगा, इसके लिए माकपा ने राज्यव्यापी संघर्ष का आह्वान किया।