रांची। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बाघों की गिनती का आंकड़ा सार्वजनिक कियाहै। जारी इस आंकड़े के अनुसार झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघ की पुष्टि हुई है। अंतिम बार नवंबर 2022 से 22 मार्च 2023 तक पूरे देश भर में बाघों की गिनती हुई थी। तब पलामू टाइगर रिजर्व में भी बाघों की गिनती हुई थी। साल 2018 में जब बाघों की गिनती हुई तब बताया गया था कि पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं है। अब एक बाघ होने की पुष्टि हुई है। बाघ होने की पुष्टि स्केट रिपोर्ट के आधार पर की गयी है।
जब देश में बाघों की गिनती हो रही थी, तब झारखंड में गिनती हुई। इस दौरान पलामू टाइगर रिजर्व की तरफ से पांच हजार फोटो की स्टडी की गयी थी। वहीं गिनती के दौरान 14 स्कैट भेजे गए थे। 14 स्टेट के सैंपल में पीटीआर में 10 तेंदुआ जबकि दो बाघों की पुष्टि हुई थी। दो सैंपल खराब हो गए थे। दोनों स्कैट का डीएनए टेस्ट किया गया। इसमें दोनों स्कैट एक ही बाघ का पाया गया।
इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि 22 मार्च 2023 तक के ये सैंपल रिपोर्ट हैं। उसके बाद भी कई सैंपल का रिपोर्ट भेजा गया है। यह सुखद है कि जीरो से एक पर आंकड़ा पहुंचा है।
जानकारी के मुताबिक झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंट्रल ईस्टर्न घाट कॉरिडोर का हिस्सा माना जाता है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश भर में बाघों की संख्या 3682 है। झारखंड में मात्र एक बाघ बताया गया है। इस कॉरिडोर में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल है। यहां बाघों की संख्या 1439 है।
झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व 1,129 वर्ग किमी में फैला है। इसे 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत गठित किया गया था। 1972 में 22 बाघ बताए गए थे। 1995 में सर्वाधिक 71 बाघ थे। इसके बाद बाघों की संख्या लगातार घटती गई। 1997 में 44, 2002 में 34, 2010 में 10 और 2014 में तीन बाघ रिपोर्ट किए गए।