रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को सदन में झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही सरकार को घेरा। प्रश्नकाल के दौरान लोबिन ने कहा कि जब पेसा नियमावली बनाई नहीं गई है तो किस आधार पर ग्रामसभा हो रही है। साथ ही लघु खनिज के पट्टे दिए जा रहे हैं।
इस पर प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने इस पर जानना चाहा कि किस जगह पर ग्रामसभा की अनुमति के बिना पट्टा दिया गया है। सम्बन्धित सदस्य इसकी जानकारी सदन में दे। इस जवाब पर झामुमो विधायक दीपक बिरुआ ने भी सवाल खड़े किए। बादल पत्रलेख ने कहा कि नियमावली 2004 के संशोधित नियम के तहत ग्राम सभा की स्वीकृति ली जाती है।
इससे पहले झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिए। हंगामे के बीच स्पीकर ने सभा की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले वेल में पहुंचकर भाजपा विधायक हंगामा करने लगे। नियोजन नीति लागू करने की मांग करते रहे। राज्य की लचर विधि व्यवस्था और बिना नियोजन नीति के हो रही बहाली पर भी सवाल उठाए। राज्य को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग की।
हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल ने सदन में विधि व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। साथ ही बगैर नियोजन नीति के युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर बरगलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-झामुमो झारखंड सरकार राज्य के सबसे अहम मुद्दे “नियोजन-कानून व्यवस्था-भ्रष्टाचार” पर ना चर्चा को तैयार है और ना ही जवाब देने की इच्छा रखती है। यहां तक कि लगातार हमारी आवाज को दबाया जा रहा है।