पटना: निकाय चुनाव का इतिहास अच्छा नहीं, फिर भी जनतादल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में हिस्सा लेने का मन बनाया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने की जुगत भिड़ा रहे जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में आधार मजबूत करने को निकाय चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने जा रहे हैं। पार्टी का यह कदम आधार स्तर पर वोट बैंक तैयार करने को लेकर किया जा रहा है। यह सब इसलिए कि आगामी लोकसभा चुनाव लड़ना हो तो पार्टी की पैठ निकाय स्तर पर मजबूत रहे। पार्टी का मानना है कि राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए पार्टी को राज्य से बाहर निकलना होगा।
कब होंगे चुनाव
बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में यह चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण का मतदान 4 मई को होगा जबकि 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा। जेडीयू ने उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
जेडीयू ने अपने उम्मीदवार को सभी सीटों पर केवल खड़ा करने का ऐलान नहीं किया है। बल्कि वह इस चुनाव के लिए काफी गंभीर भी है। इसलिए अपने दल के स्टार प्रचारकों को उत्तरप्रदेश की सरजमी पर तो उतरेंगे ही। नगर निकाय चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को सुनिश्चित करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने को उत्तरप्रदेश भी जायेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जेडीयू अपनी गंभीर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए निकाय चुनाव लड़ रही है। ऐसा नहीं कि जेडीयू का आधार संगठन उत्तरप्रदेश में निकाय स्तर पर बना है। लेकिन इस बहाने जेडीयू अपनी पहचान निकाय स्तर पर बनाना चाहती है कि जब लोक सभा में पार्टी उतरे तो यूपी के जनता के लिए पार्टी अनभिज्ञ न लगे।
कुर्मी बहुल क्षेत्रों पर है निशाना
सीएम नीतीश कुमार का निशाना उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज की 6 फीसदी वोटों पर है। कुर्मी जाति का लगभग 50 विधानसभा सीटों पर अपना असर दिखा करता है। यूपी में अपना दल के दोनों धड़ों का सियासी आधार कुर्मी वोटबैंक है। इस वोट बैंक के सहारे वह सत्ता में भागीदारी बनी हुई हैं। ऐसे में बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस तक कुर्मी वोटों को साधने में जुटी है। यह सच है कि यूपी में यादवों के बाद सबसे ज्यादा वोट कुर्मी जाति के हैं।