रांची। झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) की महिला किसान सशक्तीकरण सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी) अंतर्गत फॉरेस्ट शहद की लॉन्चिंग राज्य के विभिन्न जिलों से आई सखी मंडल की महिलाओं ने किया। झारखंड के सुदूर घने जंगलों में पारंपरिक रूप से उत्पादित होने वाले शहद प्राकृतिक रूप से एकत्र की जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर फॉरेस्ट हनी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।
झारखंड के सुदूर ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक रूप से फॉरेस्ट हनी का उत्पादन होता आ रहा है लेकिन सही तकनीक और बाजार व्यवस्था की जानकारी के अभाव में यह विलुप्ति के कगार पर था। मंगलवार को एमकेएसपी परियोजना के तहत जेएसएलपीएस ने पहल करते हुए राज्य के चार जिलों रांची, लातेहार, खूंटी एवं सिमडेगा के 10 प्रखंडों में 183 गांव के सखी मंडल से जुड़े 9000 परिवारों को वैज्ञानिक विधि से मधु उत्पादन का प्रशिक्षण देकर आजीविका के नए अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
इसके अलावा महिलाओं द्वारा उत्पादित शुद्ध शहद सामुदायिक संस्थानों के माध्यम से शहद संग्राहक कर पलाश ब्रांड के तहत पैकेजिंग कर बाजार में उपलब्ध करवाए जाएंगे। इनोवेटिव हनी लाईवलीहुड परियोजना के तहत सखी मंडल की महिलाओं द्वारा ‘महिला अग्रणी किसान सशक्तिकरण’ वेबसाइट लांच हुआ।
सीओओ बिष्णु चरण परिदा ने कहा कि फॉरेस्ट हनी उत्पादन के जरिए सखी मंडल की महिलाओं को आजीविका के नए अवसर प्रदान कर सशक्त किया जा रहा है। उन्होंने फॉरेस्ट हनी की पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए महिलाओं का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने प्रोडक्ट क्वालिटी पर खास जोर देते हुए बताया की उनके द्वारा उत्पादित प्रोडक्ट राज्य के साथ- साथ सरस मेले में राष्ट्रीय स्तर पर भी लोगो द्वारा खरीदी और पसंद की जाती है।