नई दिल्ली: जी20 शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ अहम बातें कही हैं। उन्होंने बताया है कि एक-दो शहरों के बजाय देशभर में जी20 के आयोजन का असल कारण क्या है। पीएम ने साफ किया है कि उनके लिए विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण का स्थान सबसे ऊपर है। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी समस्या उन लोगों के साथ है जो सोचते हैं कि दिल्ली हिंदुस्तान है। सरकार ने भारत की जी20 की अध्यक्षता को जनता की अध्यक्षता के तौर पर बताया है। एक या दो शहरों तक सीमित रखने के बजाय जी20 कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित किए जा रहे हैं। जब सरकार की इस सोच के बारे में पूछा गया तो एक न्यूज चैनल के साथ इंटरव्यू में पीएम ने दो-टूक बातें कहीं।
प्रधानमंत्री बोले कि गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोग उनके जीवन के बारे में जानने लगे। लेकिन, उससे पहले कई दशकों तक उन्होंने संगठन के स्तर पर अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं। इनमें कुछ राजनीतिक थीं तो कुछ गैर-राजनीतिक। इसके कारण उन्हें देश के लगभग हर जिले में जाने और रहने का मौका मिला।
पीएम ने कहा कि वह स्वभाव से काफी जिज्ञासु हैं। उनके जैसे व्यक्ति के लिए अलग-अलग क्षेत्रों, लोगों, संस्कृतियों, व्यंजनों और देशवासियों की चुनौतियों के बारे में इसने काफी कुछ जानने-समझने का रास्ता खोला। वह बोले, हमारे विशाल देश की विविधता आश्चर्यचकित करने वाली थी। लेकिन एक सामान्य बात थी जो उन्होंने पूरे देश में देखी। हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग के लोगों में ‘कर सकते हैं’ की भावना थी। उन्होंने बड़ी कुशलता से चुनौतियों का सामना किया। विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें गजब का आत्मविश्वास था। उन्हें बस एक ऐसे मंच की जरूरत थी जो उन्हें सशक्त बनाए।
अलग नजरिया विकसित
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से सत्ता के हलकों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी के लिए दिल्ली, खासतौर से विज्ञान भवन से परे सोचने में अनिच्छा थी। ऐसा शायद सुविधा या लोगों में विश्वास की कमी के कारण हुआ होगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी देखा कि कैसे विदेशी नेताओं की यात्राएं भी मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजधानी या कुछ अन्य स्थानों तक ही सीमित रहती थीं। लोगों की क्षमताओं और देश की अद्भुत विविधता को देखकर उन्होंने एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया। यही कारण है कि उनकी सरकार ने पहले दिन से ही दृष्टिकोण बदलने पर काम किया।