दुमका। बाल कल्याण समिति ने मानिसक रूप से अस्वस्थ 15 वर्षीय किशोरी को उसकी मां को सौंप दिया है। साथ ही उसकी मां को सख्त हिदायत दी है कि वह ओझा-गुनी के चक्कर में न पड़े बल्कि दुमका स्थित मानसिक चिकित्सा केन्द्र में जाकर बालिका का ईलाज करवाये और 15 दिनों बाद समिति के समक्ष हाजिर होकर इस बारे में रिपोर्ट दे। दरअसल रविवार को जामा थाना की एएसआई अनिता हेम्ब्रम ने मानसिक रूप से असामान्य 15 वर्षीय किशोरी को समिति के सदस्य डा राज कुमार उपाध्याय के समक्ष प्रस्तुत किया था।
यह बालिका जामा थाना क्षेत्र के बेदिया पंचायत अंतर्गत दिग्घी गांव के ग्रामीणों ने चौकीदार को सौंपा था। किशोरी की काउनसेलिंग की गयी और ड्राईंग पेपर व स्केच पेन देकर उसे चित्र बनाने या कुछ भी लिखने को कहा पर उसने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। काफी प्रयास के बावजूद किशोरी का नाम, पिता या अभिभावक का नाम और उसके घर का पता नहीं चल सका।
समिति ने किशोरी का प्रोडक्सन लेकर अगले आदेश तक उसे धधकिया स्थित बालगृह (बालिका) में आवासित कर दिया। रविवार की शाम उसकी मां मिल गयी जिसे तत्काल बालगृह भेजकर किशोरी से मिलवाया गया। सोमवार को बालगृह की हाउस मदर ने किशोरी को समिति के समक्ष उपस्थित किया। मसलिया थाना क्षेत्र में रहनेवाली उसकी मां भी समिति के समक्ष हाजिर हुई। चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी करते हुए मां का बयान दर्ज किया। उसकी मां ने बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है।
बेटी आठवीं कक्षा तक पढ़ी है। उसके बाद से वह असामान्य हो गयी है जिसके लिए ओझा से झाड़ फूंक भी करवाया गया है। समिति ने किशोरी का मनोचिकित्सक से इलाज करवाने का निर्देश देते हुए उसे उसकी मां को सौंप दिया। उसकी मां को बताया गया यदि वह 75000 रुपये तक का वार्षिक आय प्रमाण पत्र और दुमका जिला का निवासी प्रमाण पत्र बनवा कर प्रस्तुत करती है तो किशोरी को इलाज के लिए स्पान्सरशिप स्कीम से जोड़ा जा सकता है जिसके तहत उसे 4000 रुपये प्रतिमाह दिये जाएंगे।