कोडरमा। जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वाधान में बुधवार को समाहरणालय परिसर के समक्ष धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाकर उन्हें दिये जाने वाले आरक्षण समाप्त करने का संकल्प प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर केन्द्र सरकार को भेजने के लिए धरना दिया गया। इस धरना के माध्यम से धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूचि से हटाने की मांग बुलंद की गई। धरना कार्यक्रम में मुख्य रूप से जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संपर्क प्रमुख चंद्रेश्वर मुंडा, कार्यक्रम संयोजक मुंडा लिटटा मुंडा, जिलाध्यक्ष विजय बर्णवाल मुख्य रूप से उपस्थित थे।
वहीं चंद्रेश्वर मुंडा ने कहा कि धर्मान्तरित जनजातियों को आरक्षण सुविधायें दिये जाने के विरूद्ध तत्कालीन बिहार (वर्तमान झारखण्ड) के जनजाति नेता एवं लोकसभा सदस्य/केन्द्रीय मंत्री स्व. कार्तिक उरांव द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1970 में एक आवेदन दिया गया था। इस बात को 54 वर्ष पूरे हो चुके हैं। जनजाति समाज की अवस्था को देखकर उन्हें जो पीडा हुई उसे व्यक्त करने हेतु उनके द्वारा 20 वर्ष की काली रात नामक पुस्तिका भी लिखी गयी थी। मगर आज तक आदिवासियों को उचित न्याय नहीं मिल पाया है। इसको ध्यानाकृष्ट कराने को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया। धरना के उपरांत उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया और इसे विधानसभा में पारित कर लोकसभा भेजने का आग्रह किया गया।
मौके पर भरत मुंडा, बिरसा मुंडा, डोडो मुंडा, मानसिंह मुंडा, सुखराम मुंडा, बुटा मुंडा, तिलक मुंडा, दयाल सिंह मुंडा, जीतु मुडा, चमरू मुंडा, नारायण मुंडा, लुसी मुडारायीन, एतरी मुंडा, सुनीता मुंडा, गौरी मुंडा, विनीता मुंडा, गोगो मुंडा, नंदिना टुडी, मंगता पाहन सहित गंझडी, मेघातरी, खुंटीटांड, घाटपोखर, खैराटांड के जनजाति मौजूद थे।