रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री झारखंड में ही दिवाली मनाते हैं। इससे भाजपा के दिवालियापन का पता चलता है। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को अचानक से फरमान आया कि देवघर एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग का तबादला किया जाये, इससे पहले रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री का भी तबादला करने का फरमान आया। उन्होंने कहा कि ये सब क्यों हो रहा है, किस परिस्थिति में हो रहा है इसे समझना पड़ेगा।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद निशिकांत दुबे ने इन दो अफसरों पर कुछ आरोप लगाये थे। तब चुनाव आयोग ने कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार प्रत्याशी अधिकारियों की शिकायत कर सकते हैं। लेकिन इस चुनाव में निशिकांत प्रत्याशी नहीं हैं, फिर भी इन दोनों अधिकारियों का तबादला किया गया। उन्होंने कहा कि इससे एक बात साफ है कि भाजपा के टारगेट पर आदिवासी और दलित अफसर हैं।
भट्टाचार्य हरमू स्थित कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत चुनाव आयोग के अधिकारी जब यहां आये थे तभी हमने कहा था कि 15 नवंबर तक हमारे यहां कई बड़े पर्व और त्योहार हैं, इसमें लोग अपने घर चले जाते हैं। अभी संथाल परगना में सोहराय चल रहा है, दिवाली और काली पूजी हुई है। चित्रगुप्त पूजा भी है, छठ महापर्व है, गुरु नानक जंयती है, बिरसा जंयती है। लेकिन साजिश के तहत इस चुनाव को त्योहारों के बीच में कराया जा रहा है, उन्होंने कहा कि इसके पीछे पूरे प्रशासनिक तंत्र को पंगु बना देने की साजिश है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य के अधिकारी और कर्मचारी भी इन त्योहारों में अपने घरों में रहते हैं। पर्व और त्योहर आस्था से जुड़े होते हैं। इस मौके पर छुट्टी लेते हैं, साथ ही, चुनाव कराने में बड़ी संख्या में वाहनों की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि आठ नवंबर तक छठ है और पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को है। छठ में जमशेदपुर और रांची से बड़ी संख्या में लोग बिहार और दूसरे प्रदेश में चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि वाहनों की कमी होगी तो वे वापस कैसे आयेंगे।
चुनाव की घोषणा के समय इन सभी तकनीकी चीजों को दरकिनार कर दिया गया, केवल इसलिए कि भाजपा को लाभ पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री भी दिवाली यहीं बिताते हैं। इससे पता चलता है कि भाजपा में कितना दिवालियापन है।