लोकसभा में वन नेशन- वन इलेक्शन बिल को पेश कर दिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश किया। कांग्रेस-समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियां इस बिल के विरोध में उतर आई हैं। विधेयक पेश करने के बाद कानून मंत्री मेघवाल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का अनुरोध करेंगे।विधेयक को ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024’ नाम दिया गया है। बिल पेश होते ही विपक्ष ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। इस विधेयक को 12 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।
भाजपा को अपने अहम सहयोगी दल जनता दल युनाइटेड का समर्थन हासिल है। आज एक बार फिर जेडीयू के नेता संजय कुमार झा ने कहा कि यह बिल जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम तो हमेशा कहते रहे हैं कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए। पंचायत के चुनाव अलग से होने चाहिए।
सपा और कांग्रेस के सांसदों ने किया विरोध
विधेयक के विरोध में कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी और समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने विरोध किया।
कांग्रेस ने लोकसभा में दिया नोटिस
कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक पर उनकी आपत्तियां संवैधानिकता और संवैधानिकता के बारे में गंभीर चिंताओं पर आधारित हैं। मनीश तिवारी ने अपनी आपत्तियों के सूची बनाकर नोटिस में बताया कि विधेयक “संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। संविधान का अनुच्छेद 1 स्थापित करता है कि इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा, जो इसके संघीय चरित्र की पुष्टि करता है। संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक 2024, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव करता है, राज्यों में एकरूपता लागू करके इस संघीय ढांचे को सीधे चुनौती देता है।
टीएमसी ने किया विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने एक राष्ट्र एक चुनाव बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
जयराम रमेश का बीजेपी पर हमला
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक केवल पहला मील का पत्थर है, असली उद्देश्य एक नया संविधान लाना है। संविधान में संशोधन करना एक बात है, लेकिन एक नया संविधान लाना आरएसएस और पीएम मोदी का असली उद्देश्य है। “
शिरोमणि अकाली दल का कांग्रेस और बीजेपी पर हमला
वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “ये सिर्फ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं। जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, उन पर बात नहीं होती.. न तो सरकार और न ही कांग्रेस सदन चलाना चाहती है। वन नेशन वन इलेक्शन से किसे खाना मिलेगा? किसे नौकरी मिलेगी? कौन सा किसान मुद्दा हल होगा? इससे लोगों को क्या फायदा होगा?”
तेलुगु देशम पार्टी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक का समर्थन किया
एनडीए सहयोगी टीडीपी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक का समर्थन किया है। टीडीपी के फ्लोर लीडर लावु श्री कृष्ण देवरायलु ने कहा, “हमने आंध्र प्रदेश में देखा है कि जब एक साथ चुनाव होते हैं, तो प्रक्रिया और शासन में स्पष्टता होती है।यह हमारा अनुभव रहा है और हम चाहते हैं कि पूरे देश में ऐसा हो।”
ओवैसी ने किया विरोध
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किया वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध। कहा- यह संघीय ढांचे पर हमला. यह राजनीतिक लाभ लेने के लिए लाया गया है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के तहत भारत में इतनी बार हो चुके हैं चुनाव
वन नेशन वन इलेक्शन’ की नींव देश की आजादी के समय ही रख दी गई थी। वर्ष 1952 में देश में जब पहली बार चुनाव हुआ तब लोकसभा और विधानसभा दोनों के लिए ही एक साथ वोट डाले गए थे। इसके बाद अगले 4 चुनावों तक ऐसा ही चलता रहा। लेकिन बाद में कुछ कारणों के चलते लोकसभा और विधानसभा चुनाव को अलग कर दिया गया।
देश में साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में मतदाताओं ने केंद्र और राज्यों के लिए एक साथ मतदान किया था। बाद में कुछ पुराने राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के उभरने के साथ इसे वर्ष 1968-1969 में पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। अब आइए जानते हैं किन-किन देशों में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ है।