भुवनेश्वर। अठारहवें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के अंतिम दिन शुक्रवार को “आदर्श महिला प्रवासी: महिला नेतृत्व और प्रभाव- नारी शक्ति” विषय पर आधारित पूर्ण सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने की। उन्होंने एक विकसित भारत के निर्माण में नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कौशल को महत्व दिया जाना चाहिए, न कि महिला-पुरुष लिंग भेद को।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि महिलाओं के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा को सुनिश्चित करते हुए सामाजिक असमानता को दूर करना और उनकी योग्यता को उचित सम्मान देना सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने बताया कि महिला सशक्तीकरण के प्रति भारत सरकार के महत्वपूर्ण प्रयासों में मातृत्व अवकाश को 26 सप्ताह तक बढ़ाना, मुद्रा योजना के तहत 30 करोड़ महिला उद्यमियों को ऋण, उच्च शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में 28% वृद्धि और सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 32 मिलियन बैंक खातों का खुलना शामिल है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 100 मिलियन से अधिक धुआं-मुक्त रसोई और प्रधानमंत्री आवास योजना के 72% लाभार्थी महिलाओं का होना भी उन्होंने रेखांकित किया। उन्होंने महिला सशक्तीकरण के साथ-साथ महिला नेतृत्व के माध्यम से विकास को प्राथमिकता देने की बात कही।
डॉ. जयशंकर ने उन आदर्श महिला प्रवासियों की उपलब्धियों की सराहना की, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि उनकी उपलब्धियां सभी के लिए प्रेरणादायक हो सकती हैं। जी-20 सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी महिला कौशल विकास को सुनिश्चित करने के लिए इस वैश्विक सम्मेलन को भविष्य में एक मंच के रूप में उपयोग करने का आह्वान किया था।
इसरो की वैज्ञानिक और “भारत की रॉकेट महिला” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. रितु करिधाल के संचालन में आयोजित इस सत्र में कई प्रमुख महिलाओं ने भाग लिया। इसमें जमैका प्रमोशन कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष शुलेट कॉक्स, इंडोइंडियंस डॉट कॉम की संस्थापिका पूनम सागर, त्रिनिदाद एवं टोबैगो की विद्वान और महिला सशक्तीकरण कार्यकर्ता मैत्री जोशी समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे।