नई दिल्ली। भारत में आयोजित खो खो विश्व कप 2025 में भारतीय महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नॉकआउट चरण में जगह बना ली है। टीम की कप्तान प्रियंका इंगले ने अपने नेतृत्व और खेल कौशल से सभी को प्रभावित किया है। हिन्दुस्थान समाचार के लिए सुनील दुबे से खास बातचीत में प्रियंका ने अपने सफर, अनुभव और इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट को लेकर अपने विचार साझा किए।
सवाल 1: खो खो विश्व कप में भारतीय महिला टीम का नेतृत्व करने पर कैसा महसूस कर रही हैं?
प्रियंका इंगले:
यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान और जिम्मेदारी है। मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। जब मुझे कप्तानी की घोषणा की गई, तो पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। यह एक सपना सच होने जैसा है। मैं उन सभी लोगों का दिल से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने हर समय मेरा साथ दिया—चाहे वह अच्छे समय में हो या बुरे। भारतीय टीम की कप्तानी करना आसान नहीं है, लेकिन महासंघ और प्रशासनिक निकायों के समर्थन ने इसे संभव बनाया।
सवाल 2: मिट्टी के खेल से मैट तक का सफर कैसा रहा?
प्रियंका इंगले:
मैं 15 साल से खो खो खेल रही हूं। जब मैंने शुरुआत की थी, तब यह खेल मिट्टी पर खेला जाता था। उस समय कोई प्लेटफॉर्म नहीं था। लेकिन फिर अल्टीमेट खो खो और अन्य प्रयासों के कारण यह खेल मैट पर आ गया और अब यह वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। 2016 से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट शुरू हुए और अब तक सात से आठ टूर्नामेंट आयोजित हो चुके हैं। पहले हम केवल राष्ट्रीय स्तर पर खेलते थे, लेकिन अब हम विश्व कप में खेल रहे हैं। भारत में विश्व कप का आयोजन होना और खो खो का ग्लोबल स्तर पर पहुंचना देश के लिए गर्व की बात है। हमारा अगला सपना खो खो को कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक का हिस्सा बनते देखना है।
सवाल 3: खो खो में आपकी शुरुआत कैसे हुई?
प्रियंका इंगले:
मैं जब स्कूल में थी, तो अन्य लड़कियों को खो खो खेलते हुए देखती थी। यह देखकर मुझे भी इसे खेलने की प्रेरणा मिली। मेरे होमग्राउंड के कोच ने मेरे खेल को निखारने में अहम भूमिका निभाई। मेरी स्ट्रेंथ देखकर उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। हालांकि जब मैंने पांचवीं कक्षा में खेलना शुरू किया, तो मेरे परिवार ने इसे लेकर आपत्ति जताई। उनके अनुसार, इस खेल का कोई भविष्य नहीं था। लेकिन समय के साथ सब बदल गया। अब मेरा परिवार मेरे हर कदम पर साथ है। आज जब छोटी लड़कियां मुझे देखकर खो खो खेलना शुरू करती हैं, तो मुझे बेहद गर्व महसूस होता है।
प्रियंका की उपलब्धियां-
प्रियंका इंगले खो खो के क्षेत्र में एक अनुभवी खिलाड़ी हैं। उन्होंने अब तक 23 राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए हैं और 2023 में चौथी एशियाई चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है।
खो खो को लेकर प्रियंका की उम्मीदें-
प्रियंका इंगले का मानना है कि खो खो का भविष्य उज्ज्वल है। अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने लगी है, जिससे इस खेल में युवाओं का रुझान भी बढ़ा है। उनके मुताबिक, “अगर खो खो को ओलंपिक या कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल किया जाता है, तो यह भारतीय खेल जगत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।”
प्रियंका का नेतृत्व और समर्पण भारत को खो खो विश्व कप 2025 में चैंपियन बनाने के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित कर रहा है।