रांची। पुस्तकों से व्यक्ति को सदा जुड़ा रहना चाहिए। क्योंकि, किताबें सच्चा मित्र ही नहीं सुख–दुख की साथी भी हैं। ये बातें समय इंडिया, नई दिल्ली एवं बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय, पटना के संयुक्त तत्वावधान में जिला स्कूल मैदान में आयोजित 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का विधिवत शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार सह राज्यसभा सदस्य डॉ. महुआ माजी ने कही।
माजी ने पुस्तकों की महत्ता को खासतौर पर रेखांकित करते हुए यह भी कहा कि यदि पुस्तकें नहीं होतीं तो हम अपनी परम्परा, संस्कृति और ज्ञान संपदा को नहीं जान पाते।
रांची विधायक सीपी सिंह ने भी पुस्तकों को व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखना आसान नहीं। बहुत साधना और संयम की जरूरत होती है। मुझे कोई किताब लिखने को कहे तो मेरे लिए मुश्किल होगी। उन्होंने पुस्तक पठनीयता पर कहा कि आज के दौर में पुस्तकें पढ़ने वाले कम हो रहे हैं लेकिन इस तरह के आयोजन से पठनीयता बढ़ती है। लोग किताबों के करीब आते हैं और उनकी रुचि में परिवर्तन आता है।
आगत अतिथियों ने पुस्तक मेला परिसर का भ्रमण कर विभिन्न स्टॉल्स पर प्रदर्शित पुस्तकों का अवलोकन किया और आयोजन को सराहा। अतिथियों का स्वागत समय इंडिया के प्रबंध न्यासी चन्द्र भूषण ने किया। स्वागत वक्तव्य में उन्होंने कहा कि रांची में जारी पुस्तक मेला की परम्परा पुस्तक आन्दोलन का हिस्सा है। भूषण ने पुस्तक प्रेमियों से अपील की कि अधिक से अधिक संख्या में मेले में आकर पुस्तकें खरीदें और उपहार में भेंट करें।
तीन पुस्तकों का विमोचन
पुस्तक मेले में स्थानीय वरिष्ठ कथाकार उर्मिला सिन्हा की दो नवीनतम कथाकृतियां ‘एक जोड़ीआंखें’ और ‘यादों की पोटली’ का विमोचन मुख्य अतिथि सांसद महुआ माजी और विधायक सीपी सिंह ने किया। इसके अतिरिक्त अशोक बंका के कहानी संग्रह ‘सरहुल’ का भी विमोचन हुआ।
इस अवसर पर डॉ. जंगबहादुर पाण्डेय, डॉ. गोवर्धनपुरी, डॉ. ममता, मनीष सिन्हा, डॉ. कुसुमलता, वीणा श्रीवास्तव सहित नगर के बुद्धिजीवी, संस्कृति प्रेमी, पत्रकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे।