कजान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। दोनों नेताओं के बीच पांच साल बाद यह पहली औपचारिक मुलाकात होगी।इससे पहले दोनों नेता साल 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे।जिससे इसे एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जा रहा है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्व
विशेषकर इस समय, जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष चल रहे हैं, यह बैठक वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। दोनों नेताओं की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि एशिया के दो प्रमुख शक्तियों के बीच संबंधों में सुधार की संभावना है। इससे पहले, 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक की थी, लेकिन तब से यह पहली बार है जब वे आमने-सामने होंगे।
सीमा विवाद का समाधान
इस बैठक की विशेषता यह है कि हाल ही में भारत और चीन ने सीमा विवाद को समाप्त करने की पुष्टि की है। यह कदम दर्शाता है कि दोनों देश अपने हितों को लेकर गंभीर हैं और भविष्य में संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में, यह बैठक दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने और विश्वास निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
कनाडा के मुद्दे पर चर्चा
बैठक में कनाडा के मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत और चीन पर आरोप लगाए हैं, जिसमें चुनावों में हस्तक्षेप और हत्या के मामलों की बात शामिल है। ऐसे में, भारत और चीन दोनों मिलकर कनाडा को एक संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ावा मिल सके।
कुल मिलाकर, कजान में हो रही इस द्विपक्षीय बैठक का महत्व न केवल भारत-चीन संबंधों के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के नेता जब एक मंच पर होंगे, तब यह देखने योग्य होगा कि वे अपने द्विपक्षीय संबंधों को कैसे आगे बढ़ाते हैं और विश्व राजनीति में अपनी स्थिति को कैसे मजबूत करते हैं।
डिप्लोमेसी की दुनिया में तस्वीरों के जरिए, हावभाव के जरिए, गले लगाने, हाथ मिलाने या नजर मिलाने तक को एक संदेश की तरह देखा जाता है और कजान में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आई एक तस्वीर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है।
कजान में आयोजित एक अनौपचारिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रात्रिभोज में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के बीच बातचीत के दौरान हाथ हिलाकर अभिवादन किया, जिससे नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल का पता तो चलता ही है, इसके साथ ही, अमेरिका के लिए भी ये तस्वीर, एक संदेश की तरह देखा जा रहा है।
मोदी और शी जिनपिंग के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब भारत और चीन ने गश्त व्यवस्था पर सहमति बना ली है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध को सुलझा लिया है। यह दोनों देशों के बीच चार साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
ये तस्वीर बहुत कुछ कहती है!
इस मौके पर चीन और रूस के बीच मजबूत होते संबंधों को भी दर्शाया गया है, जो पिछले कुछ वर्षों में और मजबूत हुआ है, खासकर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस को प्रतिबंधों में जकड़ लिया है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दृश्यों में एक दोस्ताना पल भी कैद हुआ, जब व्लादिमीर पुतिन ने नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाकर और गले मिलकर उनका अभिवादन किया, जिससे उनके बीच घनिष्ठ संबंध प्रदर्शित हुए। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मंगलवार को बताया है, कि मोदी और शी जिनपिंग आज रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक करेंगे।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों चीन और भारत के बीच संबंध काफी खराब हो गए थे, जो दशकों में उनके बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। हालांकि, ब्रिक्स गाला डिनर में राष्ट्रपति पुतिन को पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठाया गया, जो तीनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनयिक संबंधों की ओर बदलाव का संकेत देता है।
मोदी और शी जिनपिंग ने आखिरी बार अक्टूबर 2019 में ममल्लापुरम में अपने दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान एक संरचित बैठक की थी, जो सीमा गतिरोध शुरू होने से महीनों पहले हुई थी। LAC पर गश्त करने का समझौता भारत और चीन के बीच कई कूटनीतिक और सैन्य चर्चाओं का परिणाम था। इसके बाद हाल के महीनों में वरिष्ठ नेताओं के बीच कई बैठकें हुईं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 4 जुलाई को कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में और 25 जुलाई को लाओस में आसियान से संबंधित बैठकों के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक में वांग से मुलाकात की। वहीं, इस तस्वीर को देखकर अमेरिका के पेट में दर्द होना तय माना जा रहा है, क्योंकि वो जिस तरह से खालिस्तान मुद्दे को लेकर भारत को परेशान कर रहा है, उसे देखते हुए भारत की तरफ से, इस तस्वीर के जरिए अमेरिका के लिए एक संदेश माना जा रहा है, कि आज की तारीख में, भारत को आप तंग नहीं कर सकते हैं।
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