झरिया । ‘कला हमेशा के लिए सुंदरता और आनंद की चीज़ है’ जो एक बार फिर झरिया कोयला क्षेत्रों के आग से त्रस्त, प्रदूषित और ख़त्म हुए क्षेत्रों में साबित हुआ है । ये मकसद से आज से लिलोरीपथरा में दो दिवसीय भित्ति चित्र कला के कैंप शुरू हुआ।स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों के एक समूह ने कला के माध्यम से अपने इलाके को सुंदर बनाने की जिम्मेदारी ली। अब तक, पिछले 3 वर्षों में चार अलग-अलग कोलियरी क्षेत्रों में कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस (सीसीसी) , शैक्षिक और सामाजिक परियोजना के माध्यम से इन छात्रों द्वारा 50 से अधिक दीवार कलाएं चित्रित की गई हैं।इन्हें शिक्षक सह सामाजिक कार्यकर्ता पिनाकी रॉय और कलाकार संजय पंडित का मार्गदर्शन मिल रहा है।उन्होंने इसे ‘वर्ली कोलरी आर्ट’ नाम दिया है क्योंकि इस कला में महाराष्ट्र की वर्ली लोक कला में कोलियरी जीवनशैली के साथ स्थानीय विषयों का संयोजन देखा जाता है।”
यह बताया गया है कि पूरी लंबाई की दीवार कला बनाने में तीन चरणों में तीन दिन लगते हैं, पहले मिट्टी, राख और गाय के गोबर का मिश्रण दीवारों की सतह पर लगाया जाता है और इसे दो दिनों तक सूखने दिया जाता है। फिर चूने से सफेदी की जाती है, फिर अंत में चित्रांकन, डिज़ाइन और रंग भरना होता है। सुंदर दीवार पेंटिंग बनाने के लिए 15-16 बच्चों को शामिल किया जा रहा है, कभी-कभी माता-पिता भी इसमें शामिल हो जाते हैं।
कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस के संस्थापक, पिनाकी रॉय ने कहा, ” झरिया में प्रदूषण और गंदेगी बहुत , स्वच्छ वातावरण कि जरूरत। हमलोग लॉकडाउन 20 हजार के दौरान, हमने बच्चों में सौंदर्य बोध के प्रति जागरूकता और प्रशिक्षण पैदा करने के लिए दीवार कला बनाने की यह परियोजना शुरू की है, बच्चे बहुत अच्छा कर रहे हैं और सभी ने इसकी प्रशंसा की है।”
कलाकार संजय पंडित ने कहा, “पेंटिंग के विषय आम तौर पर दैनिक जीवन से जुड़े होते हैं – महिलाएं घरेलू काम कर रही हैं, कुछ लोग सिर पर टोकरी में कोयला ले जा रहे हैं, कुछ कठोर परिस्थितियों में कोयला काट रहे हैं, कुछ कोयले की भीषण आग देख रहे हैं, बच्चे जा रहे हैं स्कूल जा रहे हैं या एक साथ पढ़ रहे हैं, कुछ लड़कियाँ नाच रही हैं, कुछ लड़के पेड़ पर चढ़ रहे हैं, कुछ फुटबॉल खेल रहे हैं, जानवर खेतों में घूम रहे हैं आदि। हम आम तौर पर तीन रंगों का उपयोग करते हैं, मैरून, काला और सफेद।
लिलोरिपथरा की 12वीं कक्षा की छात्रा दीपशिखा कुमारी ने कहा, ‘हमलोगो को भित्ति चित्र कला करने में अच्छा लगता, यह हमारे गांव की शक्ल बदल देगी।’आज के आर्ट कैंप पिनाकी राय और संजय पंडित के देखरेख में झरिया के रवि कुमार, रागिनी कुमारी, संजना कुमारी, दीपशिखा कुमारी, राजेश कुमार, लक्ष्मी कुमारी, पंकज कुमार, नंदिनी कुमारी, अभिषेक कुमार, अंजनी कुमारी , अनमोल कुमार जबकि अभिभावक मे सुशांत बनर्जी, माया देवी आदि दीवार कला निर्माण समूह में सक्रिय भूमिका निभाई।