बेगूसराय। जीविका दीदियां ना केवल स्वरोजगार के माध्यम से परिवार, समाज और देश को आत्मनिर्भर बना रही है। बल्कि, समाज को सकारात्मक सहयोग भी कर रही हैं।जीविका के ऐसे ही एक प्रयास से सदर अस्पताल में दूर-दराज इलाके से आने वाले मरीजों को सदर अस्पताल में भटकना नहीं पड़ रहा है। यहां संचालित हेल्पलाइन नंबर 6203745415 से घर बैठे पूरी जानकारी मिल रही है।
घर बैठे मरीज के परिजन सदर अस्पताल के ओपीडी (वाह्य मरीज विभाग) खुला है कि नहीं, किस विभाग में कौन से डॉक्टर मरीज को देख रहे हैं, उसकी जानकारी मिल रही है। इसके साथ ही इलाज के निबंधन के लिए नंबर लगाने के लिए भी हेल्पलाइन का उपयोग कर रहे हैं। इससे दूरदराज से सदर अस्पताल आने वाले लोगों को निराशा हाथ नहीं लगती है। इससे मरीज एवं उनके परिवार बिचौलियों से बचते हैं तथा उनके समय एवं पैसे की भी बचत हो रही है।
घर बैठे कराया जाता है निबंधन :
आंकड़े को देखें तो 25 मार्च से 31 अक्टूबर तक 5376 जीविका दीदियों ने घर बैठे (फोन कॉल द्वारा) इलाज के लिए सदर अस्पताल में निबंधन कराया है। वहीं, 3523 गैर जीविका दीदियों-अन्य लोगों ने हेल्पलाइन के माध्यम से अपना निबंधन कराया है। कुल 9198 लोगों ने ओपीडी सेवा एवं 531 लोगों ने आईपीटी सेवा का लाभ हेल्पलाइन के माध्यम से लिया है। इसके साथ ही औसतन 50 से ज्यादा लोग विभिन्न तरह की जानकारी हेल्पलाइन के माध्यम से प्रत्येक दिन लेते हैं।
हेल्प लाइन नंबर से मिल रही है मदद :
इस हेल्पलाइन को सदर अस्पताल में जीविका दीदी द्वारा संचालित किया जा रहा है और वे यहां आने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दे रही हैं। सदर अस्पताल में मरीजों की मदद के लिए जीविका हेल्प डेस्क का संचालन किया जा रहा है। इसी साल 25 मार्च को सदर अस्पताल में जीविका स्वास्थ्य सहायता की शुरुआत की गई। हेल्प डेस्क में कार्यरत दीदियों को पटना एम्स के विभागों की जानकारी, कार्यप्रणाली एवं मरीजों से बातचीत करने की जानकारी लेने एवं देने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
बिचौलियों से बच रहे हैं मरीज :
जीविका का यह केंद्र उम्मीद की किरण है। सहायता केंद्र में कार्यरत स्वास्थ्य मित्र लोगों के लिए परामर्शदात्री का काम कर रहे हैं। मरीज गीता देवी एवं रामप्रवेश पासवान ने बताया कि यह पहल मरीजों को भटकने से बचा रही है। इससे ना केवल अस्पताल में आसानी से सेवा मिल रही है, बल्कि बिचौलियों के चक्कर में फंसने से लोग बच रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से सदर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीजों तथा स्वजन को समुचित सलाह देकर मदद दी जा रही है।
अब नहीं करना पड़ता है भाग-दौड़ का सामना :
जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक अविनाश कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवारों के लिए शहर के बड़े अस्पतालों में इलाज कराना काफी मुश्किल भरा होता है। बीमारियों की जांच से लेकर इलाज करवाने एवं दवाइयों की उपलब्धता के लिए काफी भाग-दौड का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों को दूर करने के लिए बिहार के चिन्हित मेडिकल कॉलेजों एवं जिला अस्पतालों में जीविका हेल्प डेस्क यानी ‘जीविका स्वास्थ्य सहायता केंद्र’ की परिकल्पना की गई है।
सहायता के लिए तत्पर रहते हैं स्वास्थ्य मित्र :
अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले परिवारों को सहायता किया जाता है। इस हेल्प डेस्क का संचालन स्थानीय संकुल स्तरीय संघ द्वारा किया जा रहा है। संबंधित अस्पतालों में संकुल स्तरीय संघ द्वारा ‘स्वास्थ्य सुविधा केंद्र’ में स्वास्थ्य मित्र को तैनात किया गया है। स्वास्थ्य मित्र अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले गरीब परिवारों को आवश्यक परामर्श एवं अन्य प्रकार का सहयोग करते हैं। जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़े किसी परिवार के अस्पताल आने की स्थिति में उनका सहयोग किया जाता है।
बेहतर समन्वय से हो रहा है समुचित इलाज :
चिकित्सक के परामर्श के आधार पर बीमार व्यक्ति की जांच, आवश्यकतानुसार रक्त एवं ऑक्सीजन की उपलब्धता, दवा और भोजन आदि सुविधा दिलवाने में सहयोग प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सक, नर्स, एएनएम, रेडियोलॉजी एवं पैथोलॉजी कर्मी, पंजीयन कर्मी तथा अन्य कर्मियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया जाता है। जिससे मरीजों का बेहतर इलाज हो सके। भर्ती मरीजों की नियमित तौर पर जानकारी लेने के अलावा तमाम प्रकार की सहायता की जा रही है।
मरीजों को नहीं भटकना पड़ता है इधर-उधर : गिरिराज सिंह
केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जीविका के इस अभिनव प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा है कि इससे सदर अस्पताल में मरीजों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है। इस हेल्प डेस्क से आम मरीजों को इलाज में काफी मदद मिल रही है। हेल्प डेस्क का संचालन अधिकार जीविका महिला संकुल स्तरीय संघ मटिहानी द्वारा किया जा रहा है। हेल्प डेस्क केंद्र पर जीविका दीदी सुबह छह बजे से रात्रि दस बजे तक दो पालियों में उपस्थित रहती हैं।