झुमरीतिलैया (कोडरमा)। श्री दिगंबर जैन समाज के द्वारा पूज्य आर्यिका 105 विभाश्री माता जी के मंगल सानिध्य में जैन धर्म के आठवें तीर्थकर देवाधिदेव 1008 चंदाप्रभु भगवान और 23वें तीर्थंकर 1008 श्री पारसनाथ भगवान का जन्म तप कल्याणक बहुत ही भक्ति भाव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
वहीं गुरूवार को दोनों मंदिरों में 1008 श्री चंदप्रभु भगवान और 1008 श्री पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा पर प्रथम अभिषेक के साथ सैकड़ों लोगों द्वारा अभिषेक किया गया, पश्चात् मूलनायक 1008 श्री पारसनाथ भगवान की प्रतिमा पर सहस्त्र नाम का जाप के साथ शांतिधारा आर्यिका 105 विनयश्री माता जी के मुखारबिंद से हुआ। जिसका सौभाग्य समाज के गिरनार यात्रा में जाने वाले भक्तों और बाहर पाण्डुकशीला पर 1008 श्री चंदप्रभु भगवान की प्रतिमा पर समाज के अजित राजेश गंगवाल, राकेश आदित्य छाबड़ा, सुशील, ईशान काशलिवाल के परिवार को शांतिधारा का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद सुबोध गंगवाल के नेतृत्व में संगीतमय पूजन, कल्याण मंदिर विधान के साथ जन्म कल्याण पर प्रभु के चरणों में श्री फल और अर्घ समर्पण किया गया।
इस अवसर पर समाज के आर्यिका 105 विनय श्री माता जी ने ने बताया कि दोनों भगवान का जन्म वाराणसी के कासी नगरी में आज से हज़ारों वर्ष पूर्व हुवा था, तब से पूरे विश्व में जन्म कल्याणक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जैन तीर्थंकर का ही कल्याणक मनाया जाता है।
मौके पर अभिषेक शास्त्री, राज कुमार अजमेरा, नवीन जैन, समाज के सभी पदाधिकारी एवं लोग मौजूद थे।