खबर मन्त्र ब्यूरो
रांची। घर से गायब युवती के परिजनों को पुत्री के गायब हो जाने के बाद किसी पर कोई शक नहीं था। उन्होंने पुलिस के सामने भी यह बताया था कि उसका किसी से अफेयर नहीं था। परिजनों को लगा था कि वो परिवार वालों से नाराज होकर अपनी किसी सहेली के घर चली गई होगी। इसलिए परिजन उसके घर लौटने का इंतजार करते रहे लेकिन युवती और पंकज के रिश्ते को लेकर तो उन्हें हवा तक नहीं थी।
युवती के परिजन अपनी बेटी के सकुशल लौट जाने की राह देख रहे थे। इस घटना को करीब डेढ़ महीने बीत चुके थे। इसी बीच 25 मार्च को एक परिजन ने युवती के घर में पड़े कुछ किताब के पन्ने को यूं ही पलटना शुरू किया तो उसके अंदर से एक डॉक्टर का पर्चा मिला। उस पर्चे को देखकर परिवार वाले सहम गए और भागे-भागे चुटिया थाना प्रभारी के पास पहुंचे। दरअसल वह लड़की के गर्भपात से जुड़ी हुआ रसीद थी। युवती के परिवार वालों को यह जानकारी तक नहीं थी कि उसका कभी गर्भपात भी हुआ है। 13 फरवरी के बाद रांची पुलिस को पहली बार एक ऐसी लीड मिली थी जिसे यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि युवती के साथ जरूर कोई अनहोनी हुई है। पुलिस की एक टीम आनन-फानन में उस नर्सिंग होम में पहुंची जहां उसका गर्भपात किया गया था। रजिस्टर चेक करने पर उसमें एक ऐसा नाम सामने आया जो पुलिस के लिए नया नहीं था लेकिन बेहद चौंकाने वाला था, उस रजिस्टर में पंकज का नाम लिखा हुआ था। युवती के पति के रूप में पंकज ने अपना नाम गर्भपात के समय अस्पताल में दर्ज करवाया था।
गिरफ्तारी के बाद पंकज ने कबूला जुर्म: लड़की के गर्भपात की रसीद हाथ में आते ही चुटिया पुलिस ने आनन-फानन में ओरमांझी पुलिस से संपर्क किया। इस मामले की जानकारी मिलते ही ओरमांझी पुलिस में पंकज को बिना देरी किए हिरासत में ले लिया। इस दौरान पंकज को यह समझ में नहीं आया कि आखिर उसे ओरमांझी पुलिस ने क्यों उठाया है। लेकिन जब उसे चुटिया थाना लाया गया और लड़की के गर्भपात का कागज दिखाकर उससे पूछताछ शुरू हुई तो वह टूट गया और उसने वारदात की पूरी दास्तां बयां की।
14 फरवरी को ही ले ली थी युवती की जान: पंकज ने पुलिस को बताया कि 13 फरवरी को युवती उसके पास आ गई और साथ में ही रहने की जिद करने लगी। जिसके बाद वो उसे लेकर ओरमांझी आ गया। रात में एक साथ रहने को लेकर उसके साथ उसका जबरदस्त झगड़ा हुआ और दोनों में जमकर हाथापाई भी हुई। इसी दौरान अचानक युवती की मौत हो गई। उसकी मौत से घबराकर उसने शव को ठिकाने लगाने की सोच ली। जिसके बाद वह उसके शव को एक बोरे में भरकर ओरमांझी के उकरिद जंगल ले गया। घने जंगल के पास ले जाकर शव पर पेट्रोल छिड़क कर उसे आग के हवाले कर दिया। उसके बाद पंकज अपने घर लौट आया।
आत्महत्या की कहानी बताता रहा पंकज: पकड़े जाने के बाद पंकज ने पुलिस को पहले एक अलग ही कहानी बताता रहा। पंकज के अनुसार 14 फरवरी की रात युवती दूसरे कमरे में सो रही थी, जहां उसने आत्महत्या कर ली थी। इस घटना से वो काफी डर गया था इसलिए उसने शव को जला दिया था।
27 फरवरी को मिला था कंकाल: 27 फरवरी को ओरमांझी पुलिस को ग्रामीणों ने सूचना दी थी कि उकरिद के जंगलों में एक कंकाल पड़ा हुआ है। जलने की वजह से शव महिला का है या पुरुष का यह जानकारी नहीं हो पाई थी। क्योंकि शव पूरी तरह से जल चुका था और उसमें सिर्फ हड्डियां ही बची थीं। ओरमांझी पुलिस ने उस दौरान कंकाल को अपने कब्जे में लेकर फॉरेंसिक जांच और पोस्टमार्टम की कार्रवाई को पूरा करने के लिए रिम्स भेज दिया था।
कंकाल का दाह संस्कार करेंगे परिजन: 52 दिन से जिस बेटी के जिंदा होने की आस लगाए थे, परिजन अब उसी के कंकाल का अंतिम संस्कार करेंगे। पुलिस की तरफ से इसकी पहल की जा रही है। आवश्यक कागजी कार्रवाई करने के बाद बरामद शव के अवशेष परिजनों को सौंप दिए जाएंगे।