सुनील सिंह
झरिया । झरिया बजार में आज भी कायम है मौत का मंजर। घनी आबादी वाले सिन्दुरीयापट्टी में पटाखा दुकान में आग लगने से 29 लोगों की मौत का 31 साल बाद भी याद कर झरिया के लोगों का दिल दहल जाता है। आज भी झरिया के घनी आबादी वाले इलाके में कई पटाखा दुकान संचालित है।बताते है कि झरिया में लोमहर्षक पटाखाकांड 25 अक्तूबर 1992 को घट चुका है। कल्लू मियां की सिंदूरिया पट्टी स्थित पटाखा दुकान में आग लगी थी।सरकारी आंकड़े के अनुसार इसमें 29 लोगों और गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार 60 से अधिक लोगों की मौत होने की बात कहा जा रहा है। एक-एक घर से कई लाशें निकली थी. कई लाशों की पहचान भी नहीं हो पाई थी।बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई मंत्री और अधिकारी पहुंचे थे।पटाखाकांड के मृतकों के आश्रितों के नियोजन का मामला अभी भी सरकारी फाइल में दबा हुआ है।
वर्षों तक पटाखा विक्री पर लगा था रोक:
घटना के बाद सेे क ई साल तक झरिया में पटाखा बिक्री पर रोक लगा हुआ था।जिसके बाद दुकान संचालको ने किसी तरह लाइसेंस निर्गत कर पटाखा दुकानें वर्ष 2000 के बाद चालू करने में सफलता पाया। पूर्व में एक ही दुकान थी लेकिन अब घनी आबादी वाले सिन्दुरियापट्टी, बोरापट्टी, उपरकुल्ही आदि क्षेत्रों में अब एक दर्जन से अधिक लाइसेंसी दुकानें हो गई हैं। कई दुकानदार बेचने के साथ-साथ बनाने का भी काम कर रहे हैं, जो गैरकानूनी है।
27 लोगों का मौत की गवाह संचालित है दुकान:
पटाखा कांड में राम स्वरूप मोदी, प्रतिमा कुमारी, दीपक मोदी, आनंद स्वरूप जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, फूलचंद जायसवाल, प्रदीप कुमार साव, मो. मुख्तार आलम, जीतेन स्वर्णकार, तनवीर आलम, विकास गुप्ता, मो रियाज, मो इजरायल, रोहित सिन्हा, सुमित भास्कर, नुनुवती देवी, राजू सोनकर, रजन सिंह, प्रिंस साहू, सोनू कानोडिया, संजय केशरी, अनूप केशरी, बैजनाथ साव एवं मो रफीक काल के गाल में समा गये थे।
झरिया थाना पहुचते बारुद बना बालू:
झरिया के रोजी फायर वर्क्स की तीन दुकान और तीन गोदामों पर छापेमारी बरामद बारूद और सुतरी बम का उपयोग अधिकतर अपराधी ही करते हैं. कोलियरी क्षेत्रों में लूट या आउटसोर्सिंग में हिंसक झड़प के दौरान भी सुतली बम का प्रयोग किया जाता है. इसे गिट्टी, बारूद, गंधक, सुतली, सोडा, कांटी का टुकड़ा आदि मिलाकर बनाया जाता है, जो काफी घातक होता है. एसपी टीम द्वारा जब्त बारुद झरिया थाना पहुचने बाद बालू बन गया था. इसका खुलासा होने के बाद क ई पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।