कोडरमा। झुमरीतिलैया शहर में जहां भक्ति के सुर जीवन को आनंदमय बनाते हैं, वहीं सेवा और समर्पण समाज को एकजुट करते हैं। हनुमान संकीर्तन मंडल 42 वर्षों से इसी संदेश को जीते हुए हर शनिवार को भजन-कीर्तन का अद्वितीय आयोजन किया है। यह केवल एक मंडल नहीं, बल्कि आस्था का ऐसा दीप है, जो न केवल धार्मिक चेतना जगाता है, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। ढोलक और हारमोनियम की मधुर ध्वनि, मिश्री-बेदाम प्रसाद की मिठास और गायक-म्यूजिशियन की निस्वार्थ सेवा, सब मिलकर हर कीर्तन को एक दिव्य अनुभव बना देते हैं। चाहे गर्मी हो या सर्दी, यह मंडल हर परिस्थिति में अपने कार्यक्रमों को उसी ऊर्जा और उत्साह से आयोजित करते है। शहर के इस प्रेरणादायक संगठन ने भक्ति को जीवन का आधार बनाते हुए हर दिल में भगवान का नाम स्थापित कर दिया है।
ढोलक और हारमोनियम के सुरों पर होता है कीर्तन
मंडल हर शनिवार को संध्या 7 बजे से 10ः30 बजे तक विभिन्न स्थानों पर संकीर्तन का आयोजन करता है। कार्यक्रम में ढोलक और नए हारमोनियम के सुरों के साथ भजन गाए जाते हैं। मिश्री और बेदाम प्रसाद का वितरण भक्तों को किया जाता है। गायक और म्यूजिशियन पूरे मनोयोग से बाबा के नाम पर सेवा करते हैं।
कीर्तन आयोजन की विशेष व्यवस्था
मंडल द्वारा माइक दरी और 5 देवी-देवताओं की तस्वीरें उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि कार्यक्रम के दौरान भक्ति का माहौल बना रहे। कीर्तन की बुकिंग 2 से 3 महीने पहले ही हो जाती है। आयोजन स्थल पर गृहस्वामी केवल चाय की व्यवस्था करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कोई खर्चा मण्डल स्वयं वहन करता है।
भक्ति की मिसाल है मंडल की निरंतरता
1982 में अड्डी बंगला रोड स्थित चैधरी ब्रदर्स के हनुमान मंदिर से शुरू हुआ यह मंडल आज भी अपने साप्ताहिक कीर्तन को बिना किसी रुकावट के आयोजित कर रहा है। चाहे गर्मी हो, बरसात या ठंड, मंडल के सदस्य हर परिस्थिति में भक्ति के इस सिलसिले को जारी रखते हैं। 1984 में प्रशासन ने कफ्र्यू के दौरान मण्डल के सदस्यों को विशेष कार्ड जारी किया, ताकि वे कीर्तन में शामिल हो सकें। कोरोना काल (लाॅकडाउन) में भी यह मंडल ताली कीर्तन के रूप में भजन कीर्तन करता रहा। इस दौरान मण्डल के पदाधिकारियों ने नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अपनी संख्या में भी कमी कर दी, ताकि व्यवधान न आए और सभी सुरक्षा उपायों का पालन हो सके।
सदस्यों की प्रेरणा से जन्मीं अन्य संस्थाएं
हनुमान संकीर्तन मंडल को धार्मिक संस्थाओं की ‘यूनिवर्सिटी’ माना जाता है। इसकी प्रेरणा से श्री श्याम मित्र मंडल, ओम संकीर्तन मंडल, श्री राम संकीर्तन मंडल जैसी कई संस्थाओं का गठन हुआ, जो साप्ताहिक व मासिक कीर्तन कर रही हैं।
सुंदरकांड से मंगल पाठ तक का सफर
पिछले 40 वर्षों से हनुमान जन्म उत्सव पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन होता था, जिसमें 30-50 लोग शामिल होते थे। लेकिन पिछले 3 वर्षों से सुन्दरकांड में 500 से अधिक महिलाएं, पुरुष और विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। यह भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
धार्मिक साधनों में भी बदलाव
42 वर्षों से चले आ रहे हारमोनियम को तीन महीने पहले रांची से मंगवाए गए नए एल्यूमीनियम हारमोनियम से बदला गया। इससे कीर्तन में संगीत की मधुरता और बढ़ गई है। हनुमान संकीर्तन मंडल की यह भक्ति यात्रा आज भी सामाजिक भेदभाव को मिटाते हुए आस्था और सेवा की नई परिभाषा गढ़ रही है।