नई दिल्ली। “भारतीय संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा” पर चर्चा के दूसरे दिन राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा ने आपातकाल और संविधान की प्रस्तावना में संशोधन को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 370 का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अगर संविधान को लागू करने वाले अच्छे नहीं हैं तो एक अच्छा संविधान भी बुरा साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि “बुरे लोगों (बैड लॉट)” ने कई बार भारतीय संविधान में हस्तक्षेप किया है।
मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रसिद्ध संगीतकार और तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को याद किया। उनके सम्मान में सदन ने एक क्षण का मौन रखा और पटल पर रखे जाने वाले कागजातों के साथ सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी। इसके साथ ही सदन के नेता और केंद्रीय स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा ने संविधान पर आज की बहस शुरू की।
नड्डा ने कहा कि भारतीय लोकाचार में, लोकतंत्र में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता, समाज में समावेशिता और आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने की अनुमति देना शामिल है। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं यह गर्व और खुशी के साथ कहता हूं कि मैं कांग्रेस पार्टी से सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम सुन रहा हूं। वर्षों बाद मैंने कांग्रेस के लोगों को उनके बारे में बोलते हुए सुना है। उन्होंने 562 रियासतों को एकजुट किया और जम्मू-कश्मीर का एक मुद्दा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर छोड़ दिया। नेहरू ने तब शेख अब्दुल्ला से, जो एक असाधारण प्रावधान के माध्यम से इस मुद्दे से जुड़े थे, कश्मीर के बारे में डॉ.आंबेडकर से परामर्श करने के लिए कहा।
नड्डा ने आंबेडकर के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने अब्दुल्ला से कहा था, “आप चाहते हैं कि भारत आपकी सीमाओं की रक्षा करे, उसे क्षेत्र में सड़कें बनानी चाहिए, उसे आपको खाद्यान्न उपलब्ध कराना चाहिए और कश्मीर को भारत के बराबर दर्जा मिलना चाहिए, भारत सरकार के पास सीमित अधिकार होने चाहिए और भारतीय लोगों के पास कश्मीर होना चाहिए। इस प्रस्ताव पर सहमति देना भारत के हितों के साथ विश्वासघात होगा और मैं भारत का कानून मंत्री होने के नाते ऐसा कभी नहीं करूंगा।”
कश्मीर मुद्दे पर बात करते हुए नड्डा ने कहा कि वह अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए संसद के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने तब इस कदम का विरोध किया था और उनसे पूछा कि वे किस बात के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के कारण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस हमें आपातकाल से आगे बढ़ने के लिए कहती है। उन्होंने कहा कि इसे स्वीकार किया गया है और इसके लिए माफी मांगी गई है, लेकिन पूछा कि इसे कैसे भुलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपातकाल क्यों घोषित किया गया था? क्या देश खतरे में था? नहीं। कुर्सी (प्रधानमंत्री पद) खतरे में थी। और इसी वजह से देश अंधकार में डूब गया।
उन्होंने कहा कि देश में एक देश एक चुनाव का संवैधानिक प्रावधान पहले से था लेकिन कांग्रेस राज में (नेहरू से लेकर डा. मनमोहन तक) धारा 356 के दुरुपयोग कर राज्य सरकारें समय से पहले गिराई गईं और बीच में चुनाव कराने के लिए संविधान से छेड़छाड़ की गई।
आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने इस अधिनियम के बाद अपनी बेटी का नाम मीसा भारती रखा था लेकिन आज वह कांग्रेस के साथ साझेदारी में हैं। उन्होंने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि मैं उस समय पटना में इंटरमीडिएट का छात्र था। मुझे दो बार कक्षा से गिरफ्तार किया गया था।
शाह बानो केस का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि किस तरह राजीव गांधी सरकार ने शीर्ष अदालत के फैसले को संसद से पलटा था। नड्डा ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार ने तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर दिया, जिससे देश की मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाया गया जबकि कांग्रेस ने अपनी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीतियों के कारण ऐसा कभी नहीं किया। बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देशों का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि इन देशों में यह व्यवस्था नहीं है, लेकिन भारत की धर्मनिरपेक्षता इसकी अनुमति देती है।
नड्डा ने कहा कि पंडित नेहरू की गलत नीतियों कि वजह से किस तरह चीन ने भारत की जमीन दबा ली। उन्होंने इसी तरह से पाकिस्तान और म्यामांर का भी जिक्र किया। बांग्लादेश के साथ 1974 से जो जमीनी सीमांकन की अड़चन थी, उसे मोदी सरकार ने 2015 में सुलझाया। कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने पर कहा कि 1974 में ऐसा करते समय संवैधानिक प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया। हालांकि, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा बीच में बोलते हुए कहा, “डीएमके ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था कि कच्चातीवु को श्रीलंका को नहीं सौंपा जाना चाहिए। हमारे सदस्यों ने संसद में भी इस विधेयक का विरोध किया है। डीएमके पर कभी भी यह आरोप नहीं लगाया जा सकता कि हम केवल मूकदर्शक बने रहे।” इस पर नड्डा ने कहा कि मैं तिरुचि शिवा के शब्दों को मानता हूं लेकिन अब पुनर्विचार करने का समय है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने संबंधों पर भी पुनर्विचार करें।
नड्डा ने धर्म के आधार पर आरक्षण के बारे में कहा कि कांग्रेस ने कुछ राज्यों में मुसलमानों के लिए आरक्षण का वादा किया है, जहां वे सत्ता में हैं। कांग्रेस द्वारा इस टिप्पणी पर आपत्ति जताए जाने पर सदन में थोड़ी देर के लिए हंगामा हुआ। सभापति धनखड़ ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को बोलने का मौका दिया तो जयराम रमेश ने कहा कि हमने कभी धर्म के आधार पर आरक्षण देने की बात नहीं की। जहां हमने आरक्षण दिया, मसलन कर्नाटक में, वहां ओबीसी, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए आरक्षण दिया गया। वे जो कह रहे हैं वह गलत है।
नड्डा ने सामाजिक न्याय की चर्चा करते हुए मोदी सरकार के कार्यकाल में लागू की गई नारी शक्ति वंदन, तीन तलाक, मुद्रा योजना, जनधन, अन्न योजना, स्वच्छता, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत आदि विभिन्न योजनाओं का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस समय आयुष्मान भारत के तहत कुल 61 करोड़ लोग आच्छादित हैं, जिनमें 6 करोड़ बुजुर्ग (70 साल या इससे अधिक वाले) हैं। तपस्या पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि तपस्या से शरीर में गर्मी नहीं आती बल्कि लक्ष्य, नीति और नीयत स्पष्ट होती है, जिससे देश आगे बढ़ता है।