रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने हजारीबाग के माहेश्वरी परिवार के छह सदस्यों की मौत की जांच झारखंड के वरीय पुलिस अधिकारियों से कराने का आदेश दिया है। अब इस मामले की जांच दोबारा शुरू होगी। हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने यह आदेश दिया है। सीआईडी जांच से असंतुष्ट मृतक के परिजन राजेश माहेश्वरी ने हाई कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच का आदेश डीजीपी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी को दिया है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा-
सीआईडी की क्लोजर रिपोर्ट में आर्थिक तंगी की वजह से पूरे परिवार का आत्महत्या करना प्रथम दृष्टया सही प्रतीत नहीं होता। जांच पूरी कर चार महीने में रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए। डीजीपी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी पूरे मामले की जांच के लिए वरीय अधिकारियों की टीम बनाएं। सीआईडी जांच में शामिल अधिकारी नई जांच टीम का हिस्सा ना हों। मामला थोड़ा पुराना हो गया है, इसलिए जांच अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लें।
उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई 2018 को हजारीबाग के खजांची तालाब के पास बने सीडीएम शुभम अपार्टमेंट के तीसरे तल के कमरा नंबर-303 में रह रहे माहेश्वरी परिवार के छह लोगों की मौत हो गयी थी। मरने वालों में परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, उनका बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी उर्फ परी अग्रवाल शामिल थे। इनमें महावीर अग्रवाल का शव बेडरूम के पंखे से लटका मिला था। वहीं नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था, जिसका हाथ व पैर टूटा हुआ था। किरण अग्रवाल का गला कटा था और बिस्तर पर शव पड़ा था। प्रीति अग्रवाल का शव पंखे से लटका मिला था। पोता अमन फांसी पर लटका पाया गया था। पोती अन्वी का शव सोफा से बरामद किया गया था। इस मामले की जांच सीआईडी ने की और इस घटना को आत्महत्या करार दिया है।