नई दिल्ली। फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को बड़ा झटका लगा है। प्रयागराज महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने बड़ा ऐक्शन लिया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। बताया जा रहा है कि सिर न मुंडाने पर ऐक्शन लिया गया है। अजय दास ने खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताया। उन्होंने अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी निकाल दिया।
अजय दास ने कहा कि नए सिरे से अखाड़े का पुनर्गठन होगा। उन्होंने महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को भी किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने देशद्रोह की आरोपी ममता कुलकर्णी को अखाड़े में शामिल किया था और उनकी जानकारी के बिना उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया था। उधर, लक्ष्मी खुद को संस्थापक बता रहीं। लक्ष्मी ने कहा कि अजय को 2017 में अखाड़े से निकाल दिया था। दरअसल, अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से विवाद बढ़ा है।
अजय दास ने जारी किया पत्र
ऋषि अजय दास ने मीडिया को जारी पत्र में कहा है कि वर्ष 2015-16 में उज्जैन के महाकुंभ में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया गया था। जिस उद्देश्य को लेकर उनको पदवी दी गई थी, उससे वह भटक गए हैं। इसलिए उनको पदमुक्त किया जा रहा है। शीघ्र ही उन्हें इसकी लिखित सूचना दे दी जाएगी। यह भी आरोप लगाया कि बिना मेरी सहमति के 2019 के कुंभ में इन्होंने एक अनुबंध जूना अखाड़े के साथ कर लिया। जो कि अनैतिक ही नहीं विधि के अनुकूल भी है। जो कि एक जालसाजी है।
कहा कि फिल्मी दुनिया से ताल्लुक रखने वाली ममता बनर्जी को इन्होंने महामंडलेश्वर बना दिया। इससे सनातन धर्म की छवि धूमिल हो रही है। इससे मजबूर होकर लक्ष्मी नारायण के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी।
’23 साल पहले ली थी दीक्षा’
ममता कुलकर्णी ने बताया था कि उन्होंने 23 साल पहले अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरि से कुपोली आश्रम में दीक्षा ली थी। अब पूरी तरह से संन्यासिनी बन गई हैं। उन्होंने कहा था कि यह मेरा सौभाग्य होगा कि महाकुंभ की पवित्र बेला में संन्यास लिया।
आपको बता दें कि अभिनेत्री ममता कुलकर्णी कुछ दिन पहले महामंडलेश्वर बनी। महाकुंभ में संगम स्नान और पिंड दान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें नया नाम भी दिया। आचार्य लक्ष्मी नारायण ने इस दौरान कहा था कि वह हम लोगों से करीब डेढ़ साल से संपर्क में थीं। इससे पहले भी वह जूना अखाड़े में महामंडलेश्वर के साथ थीं। उनके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें दिशा नहीं मिल रही थी। इस पर उन्होंने इच्छा जाहिर की कि वह सनातन से पूर्ण रूप से जुड़ना चाहती हैं।