खबर मन्त्र ब्यूरो
रांची। विधानसभा में शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद हंगामे के बीच झारखंड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2023 पारित कर हो गया। हेल्थ साइंस के संसाधनों को राज्य में समृद्ध करने के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है। यूनिवर्सिटी के जरिये राज्य में हेल्थ साइंस की पेशेवर शिक्षा को विकसित किया जायेगा। इसमें नर्सिंग, फार्मेसी, दंत चिकित्सा, फीजियोथेरेपी, पारा मेडिकल समेत कई विषयों की पढ़ाई होगी। रिसर्च से जुड़े विषयों को सुविधानजक बनाया जायेगा। विधेयक में प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री इस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति होंगे। सीएम ही दीक्षांत समारोह और शासी निकाय की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। विश्वविद्यालय में कुलपति, डिपार्टमेंट के डीन, रजिस्ट्रार, वित्त पदाधिकारी और परीक्षा नियंत्रक समेत कई पदों का सृजन होगा। पहले कुलपति की नियुक्ति मुख्यमंत्री के द्वारा की जायेगी। 70 वर्ष से कम उम्र के ही व्यक्ति को कुलपति नियुक्त किया जायेगा।
बकाया वसूली को ले लोक उपक्रमों पर सर्टिफिकेट केस : डॉ उरांव
वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्र सरकार और लोक उपक्रमों पर राज्य का भारी-भरकाम पैसा बकाया है। इसे प्राप्त करने की विधिवत कोशिश की जा रही है। उन्होंने इसके लिए किसी तरह के असंवैधानिक कदम नहीं उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि लोक उपक्रमों के बकाये की वसूली के लिये सर्टिफिकेट केस किया जा सकता है। इसके लिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के स्तर पर से भी केंद्र के समक्ष बकाया राशि के लिए आग्रह किया जाता रहा है। इस दौरान विपक्षी सदस्य वेल पर हंगामा करते रहे। राज्य सरकार के खिलाफ भाजपा विधायक नारेबाजी करते रहे।प्रदीप यादव ने उठाया था मामला : दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान सदन में विधायक प्रदीप यादव ने बकाये की वसूली संबंधी सवाल पूछा था। डॉ उरांव ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि केंद्र अगर बकाया नहीं देगा तो कोयले की ढुलाई भी बंद की जा सकती है। चक्का जाम किया जा सकता है। ऐसी बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कह चुके हैं। इशारों-इशारों में वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा होने से झारखंड को भी क्षति होगी। श्री यादव ने पूछा था कि केंद्र सरकार के पास बकाया राशि और केंद्र की योजनाओं के मद में 35 हजार करोड़ रुपये के लिए बार-बार मांग करनी पड़ रही है। वसूली के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है।
35000 करोड़ से अधिक बकाया: वित्त मंत्री : इसके जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि 35000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि केंद्र सरकार और लोक उपक्रमों के पास बकाया है। इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में करीब 22 सौ करोड़ से अधिक की राशि बकाया है। राज्य सरकार के प्रयास से भूमि अधिग्रहण मद में 2532.55 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि लैंड रिफॉर्म मद में 80 हजार करोड़, कॉमन कॉज मद में 35 हजार करोड़ रु, बिजली विभाग के 1779 करोड़ समेत अन्य मद में भारी भरकम राशि बकाया है। इसको लेकर कोयला मंत्रालय समेत केंद्र के अन्य उपक्रमों से कई बार बातचीत हुई है। कोयला मंत्रालय ने कोल बेयरिंग एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि जमीन पर उसका हक है। इस डाउट को समझाने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरफेस लैंड पर राज्य का हक होता है। जबकि सरफेस के नीचे की जमीन केंद्र की होती है। कोयला मंत्रालय को यह बात समझ में आ गई है। इसके बाद वहां से कहा गया कि कमर्शियल रेट पर पैसे नहीं देंगे। इसको राज्य सरकार ने मान लिया है और कृषि रेट पर ही बकाया देने की मांग की है। इसको लेकर ज्वाइंट सर्वे कराया गया है। रिपोर्ट आने के बाद डिमांड तय होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास बकाया राशि की वसूली के लिये वैधानिक तरीका मौजूद है। यह सभी जानते हैं कि सर्टिफिकेट केस से विलंब होता है। यह भी समझना चाहिये कि केंद्र की कंपनियों पर केस करना चाहिए या नहीं। इसलिए हम नीति आयोग के पास गये। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार और उसके अन्य उपक्रम बकाया राशि को धीरे धीरे लौटायेंगे।
झारखंड सरकार भी जाति जनगणना के पक्ष में
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने शुक्रवार को सदन में कहा कि झारखंड सरकार पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण देने और जातिगत जनगणना कराने को लेकर गंभीर है। सरकार भी चाहती है कि राज्य में जातिगत जनगणना होनी चाहिए। सदन में इसे पारित कर केंद्र को भेजा जायेगा। यदि केंद्र इसे मंजूरी नहीं देता है, तो भी बिहार की तर्ज पर राज्य में इसे लागू करने पर विचार किया जायेगा। दरअसल, शुक्रवार को प्रथम पाली में विधायक प्रदीप यादव ने यह मामला उठाया था। प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिये सरकार से पूछा था कि राज्य में पिछड़ों की आबादी 50 से 60 फीसदी है, जबकि नौकरियों में उन्हें सिर्फ 14 फीसदी आरक्षण प्राप्त है। पिछड़ों का आरक्षण 27 फीसदी किया जाये और राज्य में जातिगत जनगणना भी करायी जाये। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने एसटी, एससी और ओबीसी को 77 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक सदन से पारित करा कर राजभवन को भेजा था। यह अभी प्रक्रियाधीन है। इस पर विधायक ने जानना चाहा कि आखिर क्या चीज प्रक्रियाधीन है। तब उन्होंने कहा कि राजभवन से बिल अभी नहीं लौटा है। राज्य सरकार राजभवन से बिल मंगवाकर फिर से पारित करायेगी।
सिर्फ झारखंडियों को ही रोजगार दूंगा : सीएम
मानसून सत्र के अंतिम दिन समापन अभिभाषण में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में हम नियुक्ति प्रकिया बढ़ा चुके हैं और यह लगातार जारी रहेगा। मैं गारंटी देता हूं कि सिर्फ और सिर्फ झारखंडियों को ही रोजगार व स्वरोजगार दूंगा। उनकी सरकार विधि-व्यवस्था बनाये रखने को कृतसंकल्प है। पुलिस को अपराध पर नियंत्रण की खुली छूट है। मणिपुर में आदिवासी समाज का उत्पीड़न हो रहा है पर केंद्र व वहां की सरकार मूकदर्शक है। सीएम ने कहा कि वन संरक्षण नियमावली में पिछले वर्ष ग्राम सभा के अधिकार को छीन लिया गया और फिर लोकसभा के सत्र में वन संरक्षण कानून में केंद्र सरकार ने ऐसे संशोधन किये गये कि भविष्य में आदिवासियों से उनका जंगल ही छीन लिया जायेगा। इसे यहां लागू नहीं होने दूंगा।