पाकुड । कौन कहता है ईमानदारी और इंसानियत मर गई है। जब तक दुनिया में अच्छे लोग हैं उनके अच्छे लोगों में पहचान बनी रहेगी और उनकी सच्चाई दुनिया को पता चल ही जाता है । उसके द्धारा किया गया कठिन परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। इस हकीकत को पाकुड़ के चर्चित समाजसेवी लुत्फ़ल हक ने कर दिखाया है।लुत्फ़ल हक को यूनाइटेड किंगडम में हाउस ऑफ कॉमन लंदन में आयोजित इंडो-यूके ग्लोबल बिज़नेस कॉन्क्लेव एंड अवार्ड 2023 में ब्रिटिश गोवरमेंट की मिनिस्टर ने अवार्ड से नवाजा है।
लुत्फ़ल हक को जरूरतमन्दों,असहाय और गरीबों को सहायता करने को लेकर अवार्ड से नवाजा गया है।झारखंड राज्य के सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ निवासी अपने छोटे से व्यवसाय से हर जरूरतमंदों को सहयोग करना,गरीबों को दान देना, भोजन करना,आदि की चर्चा हाउस ऑफ कॉमन लंदन में इसकी गूंज सुनाई पड़ी। एक अवार्ड कार्यक्रम में ब्रिटिश गोवरमेंट के सांसद सह शैडो मिनिस्टर फोर इंटरनेशनल ट्रेड यूके पार्लियामेंट रूथ कैडबरी ने अपने हाथों से नवाजा है।कार्यक्रम में ब्रिटिश सरकार के सांसद लार्ड रिचर्ड हेरिंगटन,सांसद बोर्नेस बर्मा,सांसद सीमा मल्होत्रा,सांसद बेलरी वाज,सांसद बीरेंद्र शर्मा,सांसद शैलेश वारा मौजूद थे।मंत्री रूथ कैडबरी ने लुत्फ़ल हक के कार्यों की सराहना की है।वे कहती है दिन दुखियों, गरीबों और लाचारों का मदद करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
इधर लुत्फ़ल हक को ब्रिटिश गोरवेर्मेंट की शैडो मिनिस्टर से अवार्ड मिलते ही उनके आंसू छलक पड़े। लुत्फ़ल हक कहते हैं कि जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस समय मिलती हे जब लोग कहते हैं कि तुम यह नही कर सकते ! जिस्म में जब तक जान रहेगा मैं गरीबों की सेवा करता रहूंगा।
लुत्फ़ल हक को अवार्ड ही अवार्ड
लुत्फ़ल हक को सर्वप्रथम मुम्बई में आयोजित अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद द्वारा सम्मेलन में उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में कर रहे कार्यों को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने उन्हें सम्मानित किया था।इसके बाद कोलकाता में आयोजित बंगाल इंटरनेशनल एक्सलेंस अवार्ड-2023 में शर्मिला टैगोर,मुम्बई में आयोजित इंटरनेशनल एक्सलेंस अवार्ड माधुरी दीक्षित और ग्लोबल एक्सलेंस अवार्ड सोनाली बेंद्रे ने अवार्ड से नवाजा है।वही आगरा में आयोजित इंडो-नेपाल बांग्लादेश मीडिया सम्मिट कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य कानून मंत्री एसपी सिंह बघेल ने सम्मानित किया था।इसके अलावा मलेशिया के कुआलालंपुर में मलेशिया के पूर्व मंत्री ने सम्मानित किया था।
क्या है परिचय इन महान समाज सेवी का
इनका नाम है लुत्फ़ल हक, पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव उदितनगर के रहने वाले हैं। वे अपनी शुरुआती जिंदगी काफी ग़रीबी से गुजारे हैं।जब पेट की आग बुझ नहीं पा रहे तो वे पश्चिम बंगाल से झारखंड के पाकुड़ रोजगार की तलाश में आ गए और वे स्टोन क्रशर में मजदूरी करने लगे।मजदूरी करते करते वे अपने बच्चों को बड़ा किया। धीरे-धीरे वे पत्थर की व्यवसाय में जुड़े और वर्तमान में वे पत्थर व्यवसाय के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य में जुड़ गए।प्रतिदिन वे अपने निजी खर्च से ढाई सौ से तीन सौ गरीब और जरूरतमंदों को भोजन करते हैं और उनके पास जो भी फरियादी आते हैं वह खाली हाथ नहीं जाते हैं।