नवादा। नवादा जिले के रजौली प्रखंड क्षेत्र में प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद भी किसान बेखौफ होकर खेतों में गेंहू और अरहर की पराली जला रहे हैं। खेतों में पराली जलाने से जहां वायू प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो रही है। इसलिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए रजौली के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बावजूद भी पराली जलाने पर रजौली क्षेत्र में किसी भी किसान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों ने पर्यावरण प्रदुषण को रोकने के लिए खेतों में गेंहू और अरहर की पराली जलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। वहीं पराली जलाने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके बावजूद भी किसान पराली जलाने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
किसान गेंहू और अरहर की कटाई का कार्य पूर्ण होने के बाद अगली फसल लगाने के लिए पराली में आग लगा देते हैं। रजौली कृषि विभाग का कहना है कि खेत में पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। वहीं मिट्टी में मौजूद किसान मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हें। इसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है। वहीं पराली के धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है। इससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है।
रजौली प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रभात कुमार ने जानकारी देते हुये बताया कि खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। किसानों को पराली का प्रयोग चारे के रूप में करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पराली जलाने पर किसान पर जुर्माना का भी प्रावधान है। खेतों में पराली जलाने वालों पर जांच कर करवाई कि जाएगी।