दुमका। सुरक्षित बचपन के लिए दामिन पहल परियोजना के अंतर्गत दुमका, गोड्डा और पाकुड़ के एंटी ह्युमन ट्रेफिकिंग यूनिट, स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी, महिला थाना एवं चाइल्ड हेल्पलाइन के पदाधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बाल संरक्षण और मानव तस्करी के मुद्दे और उससे जुड़े कानूनों के प्रति पुलिस विभाग के पदाधिकारियों का क्षमता वर्धन करना हैं। इससे बाल अधिकार को संवेदंशीलता के साथ संबोधित किया जा सकें। साथ ही मानव तस्करी की घटनाओं पर भी अंकुश लगाया जा सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डीआईजी सुदर्शन मंडल के सहयोग से प्रवाह, दुमका, झारखंड विकास परिषद, पाकुड़ और साथी संस्था, गोड्डा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। ये तीनों संस्थाएं सुरक्षित बचपन के लिए दामिन पहल परियोजना के अंतर्गत बाल संरक्षण और मानव तस्करी के रोकथाम के लिए उक्त तीनों जिले में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं।
डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने बताया कि बच्चों के संरक्षण और मानव तस्करी के रोकथाम के लिए पुलिस को संवेदनशील होना जरूरी है। उन्होंने कई मामलों के उदाहरण देते हुए पोक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम के अहमियत बताये और क्रियांवयन के लिए उपस्थित अधिकारीगण को संवेदंशील होने का निर्देश दिया। एसपी ने कहा कि अधिकारियों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए और बाल संरक्षण और मानव तस्करी के मामले में संबंधित अधिनियम के अनुसार ही कार्रवाई करना चाहिए।
रिसोर्स पर्सन सत्य प्रकाश ने उपस्थित अधिकारियों को बाल संरक्षण के अंतर्गत किशोर न्याय अधिनियम 2015, यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012, पुलिस की भूमिका एवं सवाल- जवाब सत्र साथ ही मानव तस्करी के अंतर्गत परिभाषा, आईपीसी की विभिन्न धाराएँ, विभागीय दिशा-निर्देश के बारे में विस्तार से समझाया इसके अलावा असुरक्षित पलायन, स्मग्लिंग और तस्करी के बीच अंतर्गत, पीड़ित व आरोपी की पहचान आदि महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत से प्रकाश डाला। इसके अलावा उन्हीं के संस्था द्वारा किये गए शोध के आधार पर तीनों जिलों के उपस्थित पुलिस अधिकारियों को एक चेकलिस्ट प्रदान किया गया जिसमें अवैध व्यापार पीड़ितों या अवैध व्यापार के संभावित पीड़ितों की जाँच और पहचान के लिए संकेतक-जोखिम के कारक दिये गए हैं।