रांची। राज्य में पहली बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार को झारखंड हृदय समागम का आयोजन किया है। कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के सहयोग से इस दो दिवसीय समागम का आयोजन किया गया है। समागम की खासियत यह है कि राज्य के अलग अलग जिलों और प्रखंडों में सेवा दे रहे डॉक्टर्स हृदय रोग के मामले में ग्लोबल स्तर पर हो रहे नई खोज से अवगत होंगे और इसका लाभ राज्य की जनता को ही मिलेगा।
समागम के संयोजक और प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत नारायण ने कहा कि कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉक्टरों और आम जनता में यह जागरुकता लाना चाहते हैं कि हृदय रोग और खासकर हार्ट अटैक की स्थिति में क्या त्वरित उपाय करें ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा कि दो दिनों के हृदय समागम के दौरान पुलिस के जवानों को सीपीआर यानि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन की जानकारी दी जा रही है। इससे किसी आपात स्थिति में मेडिकल इमरजेंसी की सुविधाएं पहुंचने से पहले यदि दिल की धड़कन बंद हो जाए तो उसे दोबारा शुरू किया जा सके।
नारायण ने कहा कि दिल की असाध्य बीमारियों जैसे कार्डियोमायोपैथी में स्टेम सेल थैरेपी के माध्यम से इलाज की दिशा में प्रगति हो रही है लेकिन आज की तारीख में भी यह इलाज का फर्स्ट ऑप्शन नहीं है। कोरोना के संक्रमण की वजह से दिल की बीमारियां बढ़ी हैं और नाचते-गाते, जिम में वर्जिश करते करते व्यक्ति की अचानक मौत हो जा रही है? इस सवाल पर डॉ हेमंत नारायण ने कहा कि ऐसा हो रहा है लेकिन इस पर दुनिया में कोई स्टडी नहीं हुई है, जिसके आधार पर कहें कि कोरोना महामारी की वजह से ऐसा हो रहा है।
डॉ. नारायण ने कहा कि दिल की बीमारियां ज्यादातर मामलों में अचानक नहीं होती। सीने में दर्द, सांस फूलना, जल्दी थक जाना, चक्कर आना/मूर्छित हो जाना, सीने में जलन, धड़कन तेज होना जैसे कई लक्षण हमें अलर्ट करते हैं।
रांची के जैप-1 में दो दिवसीय हृदय समागम में राज्यभर के 450 से अधिक चिकित्सक भाग ले रहे हैं। ये वे चिकित्सक हैं जो जिला अस्पताल, सामुदायिक अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से बीमार जन की सेवा कर रहे हैं।