टाटीझरिया: प्रखंड क्षेत्र के टाटीझरिया, बेडम डहरभंगा धर्मपुर, झरपो ,खैरा पंचायत के सिमराढाव सिझुआ पूतो भराजो पंचायत के अमनारी गांव में मनरेगा योजना में जेसीबी से तालाब की खुदाई करने की बातें सामने आ रही है। मनरेगा योजना में मजदूरो को नियमित रोजगार नहीं मिलने से मजदूर दूसरे राज्य के लिए पलायन करने को विवश है। जबकि 2020 -2021 में कोरोना के लोकडाउन के दौरान दूसरे राज्य से हजारो की संख्या में मजदूर अपने राज्य लौटे गए थे इस आस में की उन्हें अपने गृह राज्य में कार्य करने का अवसर मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा आश्वासन भी दिया गया था की लौटे मजदूरों को काम के लिए अब अन्य राज्य नहीं जाना होगा, लेकिन ये दावे खोखले साबित हुए।
जमीनी हकीक़त ये है की मजदूरों का हक़ छीना जा रहा है। क्षेत्र के विभिन्न गांवों में मनरेगा योजना में बिचौलियों व अधिकारियों की साठ गांठ से जेसीबी मशीन द्वारा तलाब टीसीबी समेत अन्य खुदाई वाला कार्य करके मजदूरों का हक़ मारा जा रहा है। बताया जाता है की देर रात को जेसीबी मशीन लगा कर बिचौलिये तलाब की खुदाई करते हैं। पूछने पर जिला सारा ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ अपना कार्य कर रहे है।
ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा योजना में जेसीबी मशीन लगाने की परंपरा यहां बढ़ती जा रही है। पंचायतो में अगर मजदूरों के घर जॉब कार्ड, पासबुक, मास्टर रोल की जांच की जाय तो करोड़ों रुपए की गड़बड़ी सामने आ सकती है।ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों के पलायन को रोकने व गांव में ही रोजगार देने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मनरेगा योजना के तहत विकास योजनाओं को संचालित किया गया लेकिन टाटीझरिया प्रखंड के कई पंचायतो में संचालित मनरेगा योजना में गड़बड़झाला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
प्रखंड में मनरेगा के तहत बनने वाले कुआ व डोभा में जेसीबी का उपयोग बिचौलियों द्वारा किया जाता है। दर्जन से अधिक डोभा का निर्माण जेसीबी से कराया गया है। एक रात में ही जेसीबी मशीन के द्वारा पूरा डोभा तैयार कर दिया जाता है। ग्रामीणों की माने तो मुखिया, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक तथा मेट के मिली भगत से पूरे योजना की मनरेगा रजिस्टर्ड मजदूरों से डिमांड मार कर पूरा राशि निकाल लिया जाता है। इस प्रकार के मामले में प्रखंड प्रशासन और जिला प्रशासन को संज्ञान में लेकर जांच करने की आवश्कता है।