नई दिल्ली । बिहार में लगातार पुल गिरने की बढ़ती घटनाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में बिहार में मौजूदा और हाल के वर्षों में हुए छोटे-बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग की गई है।
यह याचिका वकील बृजेश सिंह ने दायर की है। याचिका में कमजोर संरचनाओं को ध्वस्त करने या पुनर्निर्मित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई हैl याचिका में कहा गया है कि बिहार में पुलों की सुरक्षा के लिए समिति जैसे स्थायी निकाय का गठन किया जाए। याचिका में पिछले दो सालों में दो बड़े पुलों और छोटे और मंझोले कई निर्माणाधीन पुल या बनने के फौरन बाद गिरने, ढहने और बह जाने की पिछले दो सालों की घटनाओं का जिक्र किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य है। यहां 68,800 वर्ग किलोमीटर यानी राज्य का 73.6 फीसदी भू-भाग भीषण बाढ़ की चपेट में आता है। इसका निराकरण किया जाना चाहिए।
बिहार के सारण जिले में आज एक और पुल धराशायी, 24 घंटे में तीसरा पुल गिरा
बिहार के सारण जिले में एक और पुल धराशायी हो गया। आज सुबह बनियापुर प्रखंड के सरेया पंचायत में पुल भरभराकर गिर गया। बारिश के कारण पुल कमजोर हो गया था। इस पुल का निर्माण मुखिया श्रवण महतो के फंड से किया गया था। गनीमत रही कि पुल गिरने के समय आवागमन बंद था।
सारण जिले में पिछले दो दिन में यह तीसरा पुल गिरा है। बुधवार को लहलहादपुर प्रखंड अंतर्गत जनता बाजार थाना क्षेत्र में दो पुल धाराशायी हो गए थे। इस समय सारण जिले में मानसून सक्रिय है। पूरे जिले में जोरदार बारिश हो रही है।
वही बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। इस बीच सीवान जिले में गंडकी नदी पर बना पुल बुधवार सुबह धंस कर गिर गया। महाराजगंज अनुमंडल के देवरिया पंचायत के पड़ाइन टोलो के पास गंडकी नदी पर बने पुल का एक पिलर पहले बारिश के कारण धंस गया और फिर भरभराकर गिर गया।
पुल के गिरने से इस मार्ग पर परिचालन बाधिक हो गया है। इस पुल के ध्वस्त होने से करीब एक दर्जन गांवों में आवागमन बाधित है। इलाके के लोग खासे परेशान हैं कि अब जबतक पुल का निर्माण नहीं होगा उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इससे पहले भी सीवान में एक पुल ध्वस्त हो चुका है। इसके साथ मानसून की शुरूआत से अब तक आधा दर्जन से अधिक पुलों के गिरने की घटना बिहार में हो चुकी है।
विपक्ष ने साधा निशाना
बिहार में गिरते पुल-पुलियों को लेकर सरकार अब जहां सजग दिख रही है, वहीं इसे लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। विपक्ष सत्ता पक्ष को इस मुद्दे को लेकर घेर रहा है। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को पुल गिरने की घटनाओं पर सत्ता पक्ष पर जोरदार कटाक्ष करते हुए अपने आधिकारिक एक्स एकाउंट पर लिखा कि चार जुलाई की सुबह बिहार में एक पुल और गिरा। कल तीन जुलाई को ही पांच पुल गिरे।
उन्होंने आगे लिखा, “𝟏𝟖 जून से लेकर अभी तक 𝟏𝟐 पुल ध्वस्त हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खामोश एवं निरुत्तर हैं। सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें?”
उन्होंने आगे तंज कसते हुए लिखा, “सदैव भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, गुड गवर्नेंस इत्यादि पर राग अलाप कर दूसरों में गुण दोष के खोजकर्ता, कथित उच्च समझ के उच्च कार्यकर्ता, उन्नत कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह पक्षकार तथा उत्तम विचार के श्रेष्ठ लोग अंतरात्मा का गला घोंट इन सुशासनी कुकृत्यों पर चुप्पी की चादर ओढ़ सदाचारी बन चुके हैं।”
बिहार में गिरते पुल-पुलियों को लेकर सरकार हुई सजग
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक में ग्रामीण कार्य विभाग को भी पथ निर्माण विभाग की तरह मेंटेनेंस पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए। जल संसाधन विभाग भी अब पुल गिरने की घटनाओं पर सचेत हुआ है। विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा है कि गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड सहित सीवान जिले के महाराजगंज, दरौंदा और लहलादपुर में छाड़ी नदी पर बने दशकों पुराने पुल, पुलिया जर्जर हो चुके हैं, उनकी जगह नए बनाए जाएंगे। विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त पुल की जांच उड़नदस्ता संगठन से कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई की जायेगी।