चंडीगढ़: अपने बयानों के लेकर चर्चा में रहने वाली मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कृषि कानून पर बयान देकर देश का सियासी पारा बढ़ा दिया है. हालांकि उन्होंने अपने बयान में ही उम्मीद जताई थी कि इस पर विवाद हो सकता है. कंगना के बयान को निजी बताते हुए बीजेपी ने बयान से किनारा कर लिया है. आखिरकार विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने अपना बयान को वापस ले लिया है.
कंगना रनौत ने कहा, ‘पिछले बीतें कुछ दिनों में मीडिया ने किसान कानून से संबंधित कुछ सवाल किया और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को किसान कानून वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहिए. मेरी इस बात से बहुत से लोग निराश हैं. जब ये आया था तब बहुत से लोगों ने समर्थन किया था, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी ने बड़े संवेदनशीलता से वापस ले लिया था. मेरे विचार अपने नहीं होने चाहिए, मेरी पार्टी का स्टैंड होना चाहिए. अगर अपनी सोच से किसी को निराश किया है तो मुझे खेद रहेगा. मैं अपने शब्द वापस लेती हूं.’
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता का बयान
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया कि कंगना रणौत का यह बयान उनका निजी विचार है और इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा, “यह जो कुछ कंगना द्वारा कहा गया है, यह कंगना का व्यक्तिगत बयान है. इसका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है. कंगना रनौत बीजेपी के लिए ऐसे बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.”
यह पहली बार नहीं है जब अभिनेत्री व हिमाचल के मंडी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद कंगना के बयान विवाद का कारण बने हैं. इससे पहले भी उनके कई बयानों पर भाजपा को सफ़ाई देनी पड़ी थी कि वह उनके व्यक्तिगत विचार हैं, न कि पार्टी के. हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच कृषि कानूनों के मामले में उनके हालिया बयान ने एक बार फिर पार्टी को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां उन्हें स्पष्ट करना पड़ा कि ये विचार पार्टी की नीतियों से मेल नहीं खाते.
कंगना ने अपने बयान में कहा था कि तीनों कृषि कानून, जिन्हें केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध के बाद वापस ले लिया था, देश के विकास और किसानों के भले के लिए जरूरी थे. उन्होंने जोर देकर कहा था कि उन्हें फिर से लागू किया जाना चाहिए. उनके इस बयान के बाद किसान संगठनों में नाराजगी भी देखी गई.उनके इस बयान पर कांग्रेस ने भी भाजपा को घेरा.
कंगना ने कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह को हराया
कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से बीजेपी सांसद हैं. उन्होंने इसी साल बीजेपी जॉइन की थी. कंगना ने लोकसभा चुनाव में पॉलिटिकल डेब्यू किया और कांग्रेस नेता, हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह को हराया. विक्रमादित्य, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह मंडी से कांग्रेस सांसद रही हैं.
कंगना का बयान
कंगना ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि किसान आंदोलन के जरिए भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की तैयारी थी. उन्होंने कहा, जो बांग्लादेश में हुआ है वो यहां (भारत) होते हुए भी देर नहीं लगती, अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व सशक्त नहीं होता. यहां पर जो किसान आंदोलन हुए, वहां पर लाशें लटकी थीं, वहां रेप हो रहे थे. किसानों की बड़ी लंबी प्लानिंग थी, जैसे बांग्लादेश में हुआ. इस तरह के षड्यंत्र… आपको क्या लगता है किसानों…? चीन, अमेरिका… इस तरह की विदेशी शक्तियां यहां काम कर रही हैं.
हालांकि, कंगना के बयान के बाद बीजेपी की सफाई आई और कहा, ये पार्टी की राय नहीं है. पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को ना तो अनुमति है और ना ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं. बीजेपी की ओर से कंगना रनौत को निर्देशित किया गया है कि वे इस तरह के कोई बयान भविष्य में ना दें.
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किसान आंदोलन के समर्थन में जब अंतरराष्ट्रीय हस्तियों पॉप स्टार रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया तो कंगना ने नाराजगी जताई थी और कहा था, ये भारत को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हैं. उन्होंने रिहाना को ‘मूर्ख’ और किसान आंदोलन को ‘आतंकवाद’ करार दिया था. कंगना ने लिखा था- कोई इस बारे में बात इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि वे किसान नहीं हैं वे आतंकवादी हैं, जो भारत को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चीन हमारे देश पर कब्जा कर सके.
कंगना ने किसान आंदोलन में शामिल कुछ लोगों पर ‘खालिस्तानी आतंकवादी’ होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, देश को विभाजित करने की साजिश हो रही है और इसमें खालिस्तानी तत्व शामिल हैं. उन्होंने इसे देश को तोड़ने की साजिश करार दिया था. कंगना ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था, खालिस्तानी आतंकवादी आज सरकार को परेशान कर रहे हैं… लेकिन हमें एक महिला को नहीं भूलना चाहिए… एकमात्र महिला प्रधानमंत्री ने इन्हें अपनी जूतियों के नीचे कुचल दिया था. चाहे उन्होंने इस देश को कितनी भी तकलीफ क्यों ना दी हो… उन्होंने अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया… लेकिन देश के टुकड़े नहीं होने दिए. इस बयान के बाद सिख समुदाय में गुस्सा भड़क गया था. कंगना के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गईं. इस बयान ने भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाई थीं. सिख समुदाय को बीजेपी का महत्वपूर्ण समर्थन आधार माना जाता है.
वही कंगना ने किसान आंदोलन में शामिल बुजुर्ग महिला आंदोलनकारियों पर विवादास्पद टिप्पणी की थी और कहा था, ये महिलाएं पैसे लेकर प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं. उन्होंने शाहीन बाग की ‘दादी’ का जिक्र करते हुए एक महिला को भी निशाना बनाया था और कहा था कि 100-100 रुपये लेकर ये प्रदर्शन करती हैं. इस बयान के बाद विवाद बढ़ा और बीजेपी के अंदर असहज स्थिति पैदा हो गई.
जब पैसे लेकर किसान आंदोलन में शामिल होने का लगाया आरोप
बिलकिस बानो नाम की महिला ने पहले दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं. कंगना ने एक ट्वीट शेयर किया था, जिसमें आरोप लगाया था कि ‘शाहीन बाग दादी’ भी दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन में शामिल हुई हैं. उन्होंने बिलकिस बानो समेत दो बुजुर्ग महिलाओं की तस्वीरों के साथ पोस्ट को रीट्वीट किया था और लिखा था, ”ये वही दादी हैं जिन्हें टाइम मैगजीन की 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल किया गया था…. और ये 100 रुपये में उपलब्ध हैं.”
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