यूपी के प्रयागराज महाकुंभ में भारी भीड़ होने के चलते बांदा से प्रयागराज जाने वालों पर रोक लगा दी है. पुलिस ने बैरिकेडिंग कर गाड़ियों को खड़ा करा दिया है. प्रशासन का कहना है कि जब भीड़ नियंत्रण में आएगी तब इन्हें रवाना किया जाएगा. अब तक रोडवेज के परिचालकों ने यात्रियों को उनका भाड़ा भी वापस कर दिया है.
मौनी अमावस्या को लेकर प्रयागराज में क्षमता से अधिक भीड़ पहुंचने पर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं. चारों तरफ से लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं का जत्था प्रयागराज पहुंचा है. उसी क्रम में भीड़ को नियंत्रण करने के लिए प्रयागराज जाने वाले वाहनों को चित्रकूट की सीमा में रोका जा रहा है. दर्जनों चार पहिया वाहन और दर्जनों रोडवेज बसों को रोका गया है. यात्रियों को असुविधा होने पर उन्हें समझाया जा रहा है. कई यात्री तो अन्य प्रदेशों जैसे दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड से प्रयागराज जा रहे थे.
कोतवाली अतर्रा के इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश पर प्रयागराज जाने वाली गाड़ियों को रोका जा रहा है. महाकुंभ में भीड़ को देखते हुए इन्हें रोका गया है. जिसमें कई चार पहिया वाहन और सरकारी बसें हैं. इन्हें शाम के बाद ही प्रयागराज भेजा जाएगा. करीब 1500 से गाड़ियों को रोका गया है. बस कंडक्टर ने बताया कि प्रशासन ने वाहनों को रोक दिया है. हमने सभी यात्रियों के पैसे वापस कर दिए हैं. कई बसों को रोका गया है.
बता दें कि महाकुंभ के दौरान बुधवार की अलसुबह संगम पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिसमें 17 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है. तमाम घायल भी हुए हैं. मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े थे. 12 वर्षों के बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई और यह 26 फरवरी तक चलेगा. मेले की मेजबानी कर रही यूपी सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे.
भगदड़ की घटनाओं पर एक नजर-
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 1996 से लेकर 2022 के बीच भारत में भगदड़ की 3,935 घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थीं. ये घटनाएं धार्मिक त्योहारों, राजनैतिक रैलियों या सेलिब्रिटी उपस्थिति की की वजह से हुईं. हालांकि सबसे ज्यादा घटनाएं धार्मिक आयोजनों के दौरान हुईं.
तिरुपति मंदिर में भगदड़ से 6 की मौत
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में इसी महीने मची भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 40 लोग घायल हो गए हैं. इस घटना में बच गए उन लोगों ने बताया कि हादसा इतना भयावह था कि उन्हें लगा कि वहां मौजूद सभी लोग मर चुके हैं और वो लोग भी बच नहीं पाएंगे.
हाथरस की घटना में हुई थी 121 की मौत
2 जुलाई, 2024 को यूपी के हाथरस में एक धार्मिक सत्संग में भगदड़ मच गई थी, जिसमें 121 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 112 महिलाएं और 7 बच्चे शामिल थे. यह कार्यक्रम धार्मिक नेता सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग का था. इसमें वह खुद अपने भक्तों के बीच शामिल हुए थे. जैसे ही उनका काफिला जनता के बीच से निकला, महिलाएं उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ी और भगदड़ के हालात बन गए. इस कार्यक्रम में करीब ढाई लाख लोग इकट्ठे हुए थे, जिनमें से 80 हजार लोगों को प्रार्थना सभा में शामिल होने की परमिशन थी.
वैष्णों देवी मंदिर में मची थी भगदड़
जम्मू-कश्मीर स्थित वैष्णों देवी मंदिर में जनवरी, 2022 में भगदड़ मच गई थी. जिसमें 12 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों श्रद्धालु घायल हो गए थे. जांच में सामने आया कि भक्त मंदिर के संकरे प्रवेश द्वार से अंदर जाना चाहते थे, जिसकी वजह से ऐसे हालात बने.
आंध्र प्रदेश में भगदड़ में हुई थी 27 की मौत
आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में पुष्करम त्योहार मनाया जा रहा था. यहां लोग त्योहार के पहले गोदावरी नदी के किनारे पवित्र स्थल पर स्नान करते हैं. 14 जुलाई 2015 को श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा होने से भगदड़ मच गई और 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
पटना के गांधी मैदान में मची थी भगदड़
पटना का प्रसिद्ध गांधी मैदान कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है. तीन अक्टूबर, 2014 को दशहरा कार्यक्रम जब समाप्त हो गया था. उसके बाद यहां भगदड़ मच गई, जिसमें 32 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 26 लोग घायल हो गए थे.
रतनगढ़ मंदिर में हुई थी 115 की मौत
मध्य प्रदेश के दतिया जिले की रतनगढ़ देवी मंदिर में साल 2013 में नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 115 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस कार्यक्रम में डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए थे. जगह की कमी की वजह से ऐसे हालात बन गए थे.
2013 के प्रयागराज कुंभ में मची थी भगदड़
प्रयागराज में 2013 के कुंभ में भी भगदड़ मच गई थी, जिसमें 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों श्रद्धालु घायल हो गए थे. ये भगदड़ कुंभ मेले में नहीं मची थी. जब श्रद्धालु संगम में स्नान करने के बाद ट्रेन के इंतजार में रेलवे स्टेशन पर बैठे हुए थे, उसी दौरान रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा हुई. जिसकी वजह से सैकड़ों की संख्या में लोग दौड़े और भगदड़ की स्थिति बन गई. उसके बाद जब लोग लोहे के ब्रिज पर चढ़े तो वो इतने लोगों का भार नहीं सहन कर पाया और गिर गया.
हरिद्वार में भगदड़ से 20 की मौत
उत्तराखंड के हरिद्वार में नवंबर, 2011 में गंगा नदी के तट पर भगदड़ मच गई थी. हर की पौड़ी घाट पर मची इस भगदड़ में कम से कम 20 लोग मारे गए थे, जबकि कई लोग घायल भी हो गए थे.
प्रतापगढ़ में भगदड़ से हुई थी 63 की मौत
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में साल 2010 में भगदड़ मची थी. प्रतापगढ़ में कृपालुजी महाराज के आश्रम का गेट गिरने से भगदड़ के हालात बने और 63 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में 100 से अधिक लोग घायल भी हो गए. मरने वालों में 37 बच्चे और 26 महिलाएं शामिल थीं. कृपालुजी महाराज की पत्नी की बरसी के भंडारे पर कुंडा स्थित आश्रम पर भारी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे. यहां लोगों को सामान बांटा जा रहा था.
राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़
राजस्थान के जोधपुर में स्थित चामुंडा देवी मंदिर में 30 सितंबर, 2008 को भगदड़ मच गई थी. यहां किसी ने मंदिर के अंदर बम होने की अफवाह फैला दी थी. इस भगदड़ में 250 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
हिमाचल के नैना देवी मंदिर में 162 की मौत
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर में साल 2008 में एक धार्मिक समारोह में भगदड़ मच गई थी. जिसकी वजह से 162 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए थे.
महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में भगदड़ से 350 की मौत
महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित मंधारदेवी मंदिर में 25 जनवरी, 2005 को भगदड़ मच गई थी. इसमें 350 से ज्यादा श्रद्धालुओं की दबकर मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. ये हादसा तब हुआ था जब कुछ लोग नारियल तोड़ते समय सीढ़ियों पर गिर गए थे.
नासिक कुंभ में मची थी भगदड़
साल 2003 में महाराष्ट्र के नासिक के कुंभ मेला लगा था. इस पवित्र कुंभ मेले में स्नान के लिए देशभर से लाखों लोग पहुंचे थे. इसी दौरान भगदड़ मच गई और 39 लोग मार गए, जबकि 140 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
1986 के हरिद्वार कुंभ में मची थी भगदड़
इसके बाद 1986 में लगे हरिद्वार कुंभ मेले में भगदड़ मच गई थी, जिसमें 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस मेले में यूपी के तत्कालीन सीएम वीर वहादुर सिंह, दूसरे राज्यों के सीएम और सांसदों के साथ पहुंचे थे. जैसे ही सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे जाने से रोका, भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे घातक भगदड़ मच गई.
1954 के प्रयागराज कुंभ में मची थी भगदड़
प्रयागराज में साल 1954 में लगे महाकुंभ में अबतक की सबसे बड़ी भगदड़ मची थी, जिसमें करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से कुछ लोग दबकर मर गए थे और कुछ लोग बचने के लिए नदी में कूद गए थे. ये हादसा भी मौनी अमावस्या के दिन हुआ था.