झुमरीतिलैया (कोडरमा)। पशुपालन के कार्य से जुड़े लोगों को पशुओं में फैलने वाले बीमारी खुरहा और मुंहपका की रोकथाम को लेकर जिला पशुपालन विभाग की तरफ से टीकाकरण की विशेष मुहिम चलाई जा रही है। वहीं जिला पशुपालन पदाधिकारी डाॅ. राम सरीख प्रसाद ने बताया कि वायरस से होने वाले इस बीमारी की रोकथाम को लेकर टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। समय पर टीका लगाने से पशु इस वायरस की चपेट में आने से बचते हैं।
पशु चिकित्सालय से संपर्क कर पशु का कराएं वैक्सीनेशन
खबर मंत्र से बातचीत में जिला पशुपालन पदाधिकारी डाॅ. राम सरीख प्रसाद ने बताया कि विभिन्न प्रखंडों में स्थित पशु चिकित्सालय में यह टीका मुफ्त उपलब्ध है। पशुपालक पशु चिकित्सालय में संपर्क कर अपने पशुओं को टीका लगवा सकते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि इसके अलावा 4 से 8 माह की बाछी को विभाग के द्वारा ल्यूसोसिस बीमारी से बचाव को लेकर 31 मार्च तक वैक्सीनेशन का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन मुख्य रूप से बाछी को दिया जाता है, जिससे भविष्य में गाय बनने में बांझपन की समस्या उत्पन्न न हो।
वायरस की चपेट में आने से दूध उत्पादन पर भारी असर
उन्होंने बताया कि खुरहा व मुंहपका बीमारी की चपेट में आने से पशु खाना पीना बंद कर देते हैं, यह वायरस सबसे पहले पशु के मुंह पर अटैक करता है। जिससे पशु के मुंह के भीतर घाव बन जाते हैं और मुंह से लार गिरना शुरू हो जाता है। इसके बाद यह वायरस पशु के पैर की खुर में जगह बना लेता है, जिससे पशु के पैर में कीड़े लग जाते हैं और उन्हें चलने फिरने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। वहीं उन्होंने कहा समय पर इलाज नही होने से इस बीमारी की चपेट में आए पशुओं के दूध उत्पादन में काफी गिरावट होती है, पशु की मौत भी हो जाती है।
बकरियों के लिए पीपीआर वैक्सीनेशन
उन्होंने बताया कि बकरी के लिए पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) की वैक्सीन राज्य स्तर से विभाग को प्राप्त हुई है। शीघ्र इसे बकरियों को लगाया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने बताया कि पीपीआर एक वायरल बीमारी है, जिसके चपेट में आने से बकरियों को बुखार, मुंह में घाव, दस्त, निमोनिया और बकरियों की मौत तक हो जाती है। वहीं उन्होंने कहा 4 महीने से 1 साल तक के बकरियों में यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।