खूंटी। लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे हॉट खूंटी संसदीय सीट (सुरक्षित) के लिए 13 मई को वोट डाले गये थे। उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला चार जून को होगा। इस बीच दोनों राजनीतिक धड़ों एनडीए और आईएनडीआईए के स्थानीय नेताओं-समर्थकों के साथ क्षेत्र की जनता भी हार-जीत की गणित लगाने में व्यस्त है। चुनाव परिणाम चाहे जो हो लेकिन दोनों गठबंधनों के लोग इस बात पर सहमत हैं कि इस बार भी दोनों मुंडाओं के बीच का मुकाबला कांटे का है।
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपना किला और पार्टी उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को साख बचाने की चुनौती है जबकि कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरे कालीचारण मुंडा के समक्ष लगातार हार के कलंक को धोने कि चिंता है। इंडी गठबंधन के नेता और समर्थक जहां कालीचरण मुंडा की जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं, वहीं भाजपा समर्थकों का कहना है कि भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहेगा।
कांग्रेस नेता कैसर खान, संजय यादव, शिवशंकर साहू, दीनानाथ साहू सहित कई नेताओं का कहना है कि इस बार ईसाई मतों का बिखराव नहीं हुआ है। सरना आदिवासियों, रौतिया समाज के अलावा कुर्मी मतदाताओं में भाजपा के प्रति नाराजगी है और इसका खमियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमाल खान का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों और देश के विकास को देखकर ईसाई और मुसलमानों ने भी इस बार भाजपा के पक्ष में मतदान किया है।
भाजपा के एक अन्य नेता का तर्क है कि इस बार पूर्व मंत्री राजा पीटर के साथ ही आजासू सुप्रीमो सुदेश महतो का भरपूर साथ मिला है और इसका लाभ अर्जुन मुंडा का मिलेगा। भाजपा के एक नेता ने कहा कि भाजपा तोरपा, खूंटी और कोलेबिरा में कांग्रेस से पीछे रह सकती है लेकिन खरसावां, सिमडेगा और तमाड़ में भाजपा उम्मीदवार काफी आगे रहेंगे और यही अंतर अर्जुन मुंडा की जीत का आधार होगा।
2019 में महज 1445 मतों से जीते थे अर्जुन मुंडा
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के इन्हीं दो मुंडाओं के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था, जिसमें अर्जुन मुंडा ने 1445 वोटों के अंतर से कालीचरण मुंडा को शिकस्त दी थी। इस चुनाव में अर्जुन मुंडा को 3,82,638 वोट मिले थे जबकि कालीचरण मुंडा को 3,81,193 मतों से संतोष करना पड़ा था।