रांची। राजधानी रांची समेत पुरे भारतवर्ष में क्रिसमस को लेकर हर चौक चौराहे पर दुकान सज गई है।
क्रिसमस पर्व को लेकर मसीही समुदाय के लोग इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। क्रिसमस की थीम पर सजी दुकानों में विभिन्न सजावटी सामग्रियां उपलब्ध हैं, जो त्योहार की खुशियों को दोगुनी कर रही हैं। खरीददार अपने घर और आंगन को सजाने संवारने के लिए बाजारों में खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। नये परिधानों की भी खरीददारी हो रही है। क्रिसमस में सबसे अधिक मांग झालरों, सैंटा,स्टार, चरनी और क्रिसमस ट्री की हो रही है।
क्रिसमस बाजार मेन रोड, अपरबाजार, चर्च रोड, कोकर, लालपुर, कांटाटोली, धुर्वा, डोरंडा, बहुबाजार सहित अन्य क्षेत्रों में लगा है।
सर्जना चौक स्थित मेन रोड के दुकानदार विक्की ने शनिवार को बताया कि पिछले साल लगभग एक लाख से अधिक का माल लेकर आया था। मेरा दुकान काफी पुराना है। लगभग तीन साल से मैं क्रिसमस के सामान बेच रहा हूं। पिछले साल काफी बिक्री हुई थी। इस साल भी कई चुनिंदा आईटम लेकर आया हूं। आशा करता हूं कि इस बर्ष भी अच्छी बिक्री होगी। क्रिसमस को लेकर बिक्री शुरू हो गई है।
जेवियर कॉलेज के समीप दुकानदार अजय तिर्की ने शनिवार को बताया कि क्रिसमस की बिक्री शुरू हो गई है। लोग सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। दुकान में विभिन्न डिजाइन के संता क्लाउज, चरनी सेट, स्टार, बच्चों के ड्रेस, इलेक्ट्रिकल डेकोरेशन आइटम, एक्समस ट्री जैसे सामान मौजूद है।
क्रिसमस के समान और दाम
क्रिसमस ट्री- 500-1500 रुपये।
गिफ्ट आइटम -18 से 120 रुपये।
बॉल-20-120 रुपये।
चश्मा-500-800 रुपये।
हेयर बैंड- 70-80 रुपये।
पेपर स्टार 200- 250 रुपये।
प्लास्टिक स्टार- 300 – 500 रुपये।
झालर पैकेट- 300 रुपये।
टोपी-20-200 रुपये।
खिलौना -50 – 500 रुपये।
चरनी -30 – 100 रुपये।
पेपर चरनी-50-100 रुपये।
चॉकलेट- 5 – 150 रुपये।
क्रिसमस बेल – 20- 260 रुपये।
मीत -500-800 रुपये।
उल्लेखनीय है कि रांची और आसपास के इलाकों में ईसाई समुदाय के लोग काफी संख्या में निवास करते हैं।
जानिए क्यों मानते है क्रिसमस डे
ईसाई धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार 25 दिसंबर को प्रभु यीशू मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को लोग क्रिसमस डे के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। ईसाई इस दिन को खुशी और उत्साह के साथ मनाते हुए चर्च जाते हैं, घर को सजाते हैं, एक दूसरे को तोहफे देते हैं, केक काटते हैं, विभिन्न तरह के पकवान बनाते हैं और सगे-संबंधियों को आमंत्रित करते हैं।
क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म का त्योहार है लेकिन क्रिसमस का जश्न हर धर्म और समुदाय के लोग मनाते हैं। लोग एक-दूसरे को मेरी क्रिसमस कहकर इस दिन की बधाई भी देते हैं। आप भी अपनों को खूबसूरत बधाई संदेश भेजकर क्रिसमस की शुभकामना दे सकते हैं।
एक और खास बात यह है कि क्रिसमस का यह पर्व सिर्फ एक-दो दिन तक नहीं, बल्कि पूरे 12 दिनों तक मनाया जाता है। आइए, जानते हैं कि इन 12 दिनों में किस तरह से जश्न मनाया जाता है:
यहां जानें क्रिसमस के 12 दिनों का महत्व
- पहला दिन (25 दिसंबर): यह दिन क्रिसमस का पहला दिन होता है, जब यीशु मसीह के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन से ही क्रिसमस का जश्न शुरू हो जाता है।
- दूसरा दिन (26 दिसंबर): इसे बॉक्सिंग डे और सेंट स्टीफन डे के रूप में मनाया जाता है। सेंट स्टीफन ईसाई धर्म के पहले शहीद थे, जिन्होंने अपनी जान धर्म के लिए दी।
- तीसरा दिन (27 दिसंबर): यह दिन सेंट जॉन को समर्पित होता है, जो यीशु मसीह के प्रेरित और करीबी मित्र थे।
- चौथा दिन (28 दिसंबर): इस दिन को मासूम बच्चों की हत्या की याद में मनाया जाता है, जो किंग हीरोद द्वारा यीशु मसीह को ढूंढने के प्रयास में मारे गए थे।
- पांचवां दिन (29 दिसंबर): यह दिन सेंट थॉमस को समर्पित है, जो एक प्रसिद्ध प्रेरित थे और जिनकी हत्या 12वीं सदी में चर्च पर राजा के अधिकार को चुनौती देने के कारण हुई थी।
- छठा दिन (30 दिसंबर): इस दिन को सेंट ईगविन ऑफ वर्सेस्टर की याद में मनाया जाता है, जिनका योगदान चर्च में महत्वपूर्ण था।
- सातवां दिन (31 दिसंबर): इसे सिलवेस्टर डेज के नाम से भी जाना जाता है, जिसे पोप सिलवेस्टर ने मनाया था। यह दिन यूरोप के कई देशों में न्यू ईयर ईव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें खेल और उत्सव होते हैं।
- आठवां दिन (1 जनवरी): यह दिन मदर मैरी, यीशु मसीह की मां, को समर्पित होता है।
- नवां दिन (2 जनवरी): इस दिन सेंट बसिल द ग्रेट और सेंट ग्रेगरी नाजियाजेन को याद किया जाता है, जो चौथी सदी के प्रसिद्ध संत थे।
- दसवां दिन (3 जनवरी): इस दिन को यीशु मसीह का नामकरण दिवस माना जाता है, और चर्च में सजावट की जाती है तथा गीत गाए जाते हैं।
- ग्यारहवां दिन (4 जनवरी): इस दिन सेंट एलिजाबेथ को याद किया जाता है, जो 18वीं और 19वीं सदी की प्रमुख संत थीं और अमेरिका की पहली संत मानी जाती हैं।
- बारहवां दिन (5 जनवरी): क्रिसमस पर्व का अंतिम दिन, जिसे एपीफेनी कहा जाता है। इस दिन को सेंट जॉन न्यूमन, जो अमेरिका के पहले बिशप थे, को समर्पित किया जाता है।