कोडरमा। सतगावां प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मुख्यमंत्री जननी सुरक्षा योजना में लाखों के वितीय अनियमितता का मामला प्रकाश में आने के बाद हुई कार्रवाई की जानकारी देने को लेकर बुधवार को सिविल सर्जन डाॅ. अनिल कुमार ने प्रेसवार्ता किया और मामले को लेकर दोषियों के विरुद्ध अब तक हुए कार्रवाई की जानकारी दी। प्रेसवार्ता के दौरान सीएस डाॅ. अनिल कुमार और डीपीएम महेश कुमार ने पत्रकारों को बताया कि जननी सुरक्षा योजना में फर्जी तरीके से राशि का बंदरबांट करने, बिटीटी दिनेश चैधरी के द्वारा फर्जीवाड़ा कर, सहिया पत्नी ममता देवी के बैंक खाते में योजना की राशि ट्रांसफर के मामले में उपायुक्त के निर्देश पर डीडीसी के नेतृत्व वाली टीम के द्वारा मामले की जांच किया गया, जांच में सीएचसी के बिटीटी दिनेश कुमार को दोषी पाते हुए उसके खिलाफ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई, साथ ही आरोपी को तत्काल प्रभाव से चयन मुक्त कर दिया। वहीं गबन के राशि की रिकवरी को लेकर अन्य कार्रवाई किया जा रहा है।
वहीं आरोपी पत्नी को सहिया पद से बर्खास्त कर दिया गया। वहीं सिविल सर्जन ने बताया की इसके अलावे सीएचसी के लेखा सहायक सह लिपिक अजित कुमार को निलंबित कर दिया गया है। वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. सत्यनारायण भगत को हटाकर प्रभार डाॅ. आशीष कुमार को दिया गया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जननी सुरक्षा योजना में वितीय गड़बड़ी मिलने के बाद इसका जांच का दायरा अभी और बढ़ाया जा रहा है। शक के आधार पर वितीय वर्ष 2021 से अबतक हुए भुगतान की विस्तृत जांच किया जाएगा, साथ ही आयुष्मान भारत योजना का भी विस्तृत जांच किया जाएगा। यह जांच सिर्फ सतगावां सीएचसी में ही नही, बल्कि सभी प्रखंडों के सीएचसी में दोनों योजनाओं की जांच की जाएगी और जो भी दोषी मिलेंगे, उसे किसी भी हालात में बख्शा नही जाएगा। वहीं डीपीएम महेश कुमार ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना में हुए वितीय गड़बड़ी के दोषियों से राशि की रिकवरी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आरोपी बिटीटी दिनेश चैधरी इसके पूर्व गिरिडीह के गांवा में जननी सुरक्षा योजना और आयुष्मान भारत समेत अन्य योजनाओं में भी वितीय गड़बड़ी का दोषी है।
पुरुष प्रसव की बात मनगढ़ंत, लाभुक के पति के खाते में किया गया था राशि का भुगतान
प्रेसवार्ता के दौरान सिविल सर्जन ने बताया की जननी सुरक्षा योजना में वित्तीय गड़बड़ी का मामला जांच में सही पाया गया है, पुरूषों के फर्जी डिलीवरी दिखा कर, राशि गबन का मामला पूरी तरह गलत है। पुरुषों की डीलीवरी नही किया गया है, बल्कि जिन महिलाओं का डिलीवरी हुआ था, उनके द्वारा अपना बैंक खाता की जगह अपने पति का बैंक खाता भुगतान के लिए दिया गया था, जिसके आलोक में योजना की राशि लाभुक महिला की जगह उसके पति के बैंक खाता में राशि भेज दिया गया था।