नई दिल्ली। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को मानेकशा सेंटर में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मणिपुर की स्थिति, भारत-म्यांमार सीमा, कश्मीर घाटी में सीमा पार से आतंकी घुसपैठ, चीन सीमा पर डेप्सांग और डेमचोक में पेट्रोलिंग शुरू होने, बांग्लादेश की स्थिति के मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि डेप्सांग और डेमचोक के दोनों क्षेत्रों में पारंपरिक चराई शुरू हो गई है। साथ ही मणिपुर के बारे में उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों के समन्वित प्रयासों और सक्रिय सरकारी पहलों ने स्थिति को नियंत्रण में ला दिया है। भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई है, ताकि सीमा पर अभी तक हो रही अशांति के फैलाव से बचा जा सके।
सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने आज राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की विभिन्न सीमाओं के बारे में खुलकर सवालों के जवाब दिए। उन्होंने मणिपुर के बारे में कहा कि आज मणिपुर में जनजातीय समुदाय मजबूत रुख अपना रहा है, लेकिन हमें पूरे देश के साथ सुलह करने के लिए काम करना होगा। मुझे वहां तैनात किये नए राज्यपाल से भी बहुत उम्मीद है कि वे इस दिशा में कदम उठाएंगे। आपसी तालमेल के सवाल पर सेना प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि समन्वय की बिल्कुल भी कमी नहीं है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि कौन सा पक्ष कहां है। जब मई 2023 में यह समस्या आई, तो डीजीपी ने आदेश जारी किए कि आप जिस भी समुदाय से हैं, उसके निकटतम पुलिस स्टेशन जाएं, लेकिन बाहरी ताकतों के सवालों को खारिज नहीं किया जा सकता।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि पूर्वोत्तर में कुल मिलाकर स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। मणिपुर में सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों और सक्रिय सरकारी पहलों ने स्थिति को नियंत्रण में ला दिया है। हालांकि, हिंसा की चक्रीय घटनाएं जारी हैं। हम इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। विभिन्न गैर सरकारी संगठन और हमारे दिग्गज समुदाय के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं, ताकि एक तरह का सामंजस्य स्थापित किया जा सके। भारत-म्यांमार सीमा पर बढ़ी हुई निगरानी और वर्चस्व की व्यवस्था की गई है, ताकि म्यांमार में अभी तक हो रही अशांति के फैलाव से बचा जा सके। मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए हमने अपने क्यूआरटी और क्यूआर मेडिकल टीमों को अपग्रेड करने के लिए विशेष रूप से 17 करोड़ रुपये चिह्नित किए हैं।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने कश्मीर घाटी के बारे में कहा कि पिछले साल मारे गए आतंकवादियों में से 60 फीसदी आतंकी पाकिस्तानी मूल के थे। आज घाटी और जम्मू क्षेत्र में बचे आतंकी लगभग 80 फीसदी या उससे अधिक पाकिस्तानी मूल के हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। नियंत्रण रेखा पर डीजीएमओ के बीच सहमति के बाद फरवरी, 2021 से प्रभावी संघर्ष विराम जारी है। इसके बावजूद आतंकी ढांचा बरकरार है और आईबी सेक्टर से घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं। हाल के महीनों में उत्तरी कश्मीर और डोडा-किश्तवाड़ क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने बताया कि हिंसा का स्तर आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान की ओर से संचालित किया जा रहा है। हमने वर्ष 2024 तक 15 हजार अतिरिक्त सैनिकों को एलओसी पर तैनात किया है, जिसकी वजह से हिंसा का स्तर कम हुआ है। यही वजह है कि संसदीय चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव दोनों में लगभग 60 फीसदी मतदान हुआ। इसका मतलब है कि स्थानीय स्तर पर शांति आ रही है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि देश की उत्तरी सीमाओं पर स्थिति संवेदनशील, लेकिन स्थिर है। अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग और डेमचोक में स्थिति सुलझ गई। इन दोनों क्षेत्रों में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त शुरू होने के साथ ही पारंपरिक चराई भी शुरू हो गई है। सभी सह कमांडरों को गश्त और चराई के संबंध में जमीनी स्तर पर इन मुद्दों को संभालने के लिए अधिकृत किया गया है ताकि इन मुद्दों को सैन्य स्तर पर ही सुलझाया जा सके। एलएसी पर हमारी तैनाती संतुलित और मजबूत है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उत्तरी सीमाओं के लिए सेना की क्षमता विकास ने युद्ध-लड़ने की प्रणाली में आला तकनीक को शामिल करने में सक्षम बनाया है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने चीन सीमा के बारे में कहा कि भारतीय नौसेना हमारे साथ पैंगोंग झील में बड़े पैमाने पर काम कर रही है, जिसमें मानव रहित नौकाएं भी शामिल हैं। उनके विशेष बल जम्मू-कश्मीर और अन्य स्थानों पर हमारे साथ काम कर रहे हैं, जिसमें गहरे समुद्र में गोताखोर भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में हम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अंडमान और निकोबार के बारे में उन्होंने कहा कि यहां प्रादेशिक सेना की भूमिका बढ़ाने पर विचार चल रहा है। साथ ही नौसेना के साथ मिलकर हमारे पास कुछ योजनाएं हैं, जिन पर हमने पश्चिमी क्षेत्र में मिलकर काम किया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी चीनी प्रमुख से मुलाकात की है। जहां तक सत्यापन गश्त का सवाल है, तो दोनों पक्षों ने पिछले कुछ समय में दो दौर पूरे कर लिए हैं और दोनों पक्ष इससे काफी संतुष्ट हैं। यहां बफर जोन जैसी कोई चीज नहीं है, इसका मतलब है कि दोनों पक्ष पीछे रहेंगे और आगे के क्षेत्रों में नहीं जाएंगे। इसलिए हमें एक साथ बैठकर इस बारे में व्यापक समझ बनाने की आवश्यकता है कि हम स्थिति को कैसे शांत करना चाहते हैं और विश्वास को कैसे बहाल करना चाहते हैं। अब हम अगली विशेष प्रतिनिधि बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो जल्द होनी चाहिए।
बांग्लादेश की स्थिति पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने बताया कि बांग्लादेश हमारे लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। हम पड़ोसी हैं, हमें साथ रहना है और एक-दूसरे को समझना है और किसी भी तरह की दुश्मनी एक-दूसरे के हित में नहीं है। आज की स्थिति में किसी भी तरफ से कोई कमजोरी नहीं है। जब यह बदलाव हुआ था, तब भी मैं बांग्लादेश के प्रमुख के संपर्क में था। नवंबर में हमने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की थी। बांग्लादेश से सैन्य सहयोग के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पहले की तरह ही बढ़ रहा है। संयुक्त उत्पाद शुल्क मौजूदा स्थिति के कारण कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया है और जैसे ही स्थिति में सुधार होगा, वह उत्पाद शुल्क भी जारी रहेगा। अभी की स्थिति में सैन्य संबंध अच्छे और सही हैं।