नयी दिल्ली। कर चले हम फिदा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…. 15 अगस्त हो या 26 जनवरी या फिर देशभक्ति का कोई और मौका, इस गाने को सुनते ही रोम-रोम खड़े हो जाते हैं। पुंछ आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की पारिवारिक स्थिति और उनकी कहानी इतनी दर्दनाक है कि उसे जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। किसी का बेटा मात्र चार महीने का है, तो किसी की बेटी मात्र सात महीने की। कोई अपने माता-पिता के इकलौता बेटा था। भारतीय जवान अपना सर्वोच्च बलिदान देकर वतन की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं। उनकी शहादत पर गांव-समाज, देश को गर्व तो होता है लेकिन जवान बेटे, पति और पिता को खोने का दर्द शहीद के परिजनों को कभी न भरने वाला जख्म दे जाता है। बीत 20 अप्रैल को पुंछ में भारतीय सेना के गाड़ी पर हुए आतंकी हमले में जिन पांच जवानों की जान गई, आज उनके परिवार और गांव में मातम पसरा है। लोग देशभक्ति के नारे लगा रहे हैं, सेना के वरीय अधिकारी और जवान तिरंगे के साथ जवान के पार्थिव शरीर को घर तक पहुंचाने आए हैं। लेकिन शहीद के बिलखते बच्चे, सिसकती पत्नी और बेसहारा माता-पिता को देखकर उनकी आंखें भी नम हो जा रही है।
शहीदों के अंतिम विदाई आज-
पुंछ आतंकी हमले में जिन पांच जवानों की जान गई, आज उन सभी को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। शहीदों के पार्थिव शरीर उनके गृहनगर तक पहुंच चुके हैं। जहां अंतिम संस्कार से पहले की सभी औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। पुंछ आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की पारिवारिक स्थिति और उनकी कहानी इतनी दर्दनाक है कि उसे जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। किसी का बेटा मात्र चार महीने का है, तो किसी की बेटी मात्र सात महीने की। कोई अपने माता-पिता के इकलौता बेटा था।