– अनुबंध के तहत 37 महीनों के भीतर पहला राफेल मरीन विमान देने की बाध्यता होगी
Powered by myUpchar
नई दिल्ली। भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदने के लिए मेगा डील को मंजूरी दे दी है। 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर विमान मिलेंगे। इससे भारतीय नौसेना की लड़ाकू ताकत और ज्यादा मजबूत होगी। फ्रांस को अनुबंध के तहत सौदे पर हस्ताक्षर करने की तिथि से 37 महीनों के भीतर पहला राफेल मरीन विमान देने की बाध्यता होगी।
Powered by myUpchar
भारतीय नौसेना ने स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए बोइंग एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की जगह फ्रांसीसी राफेल मरीन को चुना है। भारत और फ़्रांस के बीच इस बारे में लम्बे समय से चल रही बातचीत पूरी हो चुकी है। पहले इस वित्तीय वर्ष में ही सौदे पर हस्ताक्षर करने की योजना थी, लेकिन संसद के बजट सत्र के कारण इसमें देरी हुई है। भारतीय नौसेना के मल्टी-रोल कैरियर बोर्न फाइटर के लिए आपातकालीन खरीद नीति के तहत सरकार-से-सरकार सौदे के माध्यम से 26 एयरफ्रेम प्राप्त किए जाएंगे। पहले इस तरह के 57 विमान खरीदे जाने थे, लेकिन बाद में यह संख्या घटाकर 26 कर दी गई है।
भारत की जरूरतों के लिहाज से फ्रांसीसी कंपनी ने परमाणु सक्षम एक ‘राफेल मरीन’ स्की-जंप करने की क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए भारत भेजा था।विमानवाहक आईएनएस ‘विक्रांत’ के लिए भारतीय नौसेना ने पिछले साल जनवरी में गोवा स्थित आईएनएस हंसा में समुद्री लड़ाकू विमान ‘राफेल मरीन’ का परीक्षण किया था। वायु सेना के राफेल जेट और समुद्री संस्करण ‘राफेल मरीन’ में एक अंडरकारेज और नोज व्हील, एक बड़ा अरेस्टर हुक, एक एकीकृत सीढ़ी जैसे कई अन्य मामूली अंतर हैं। ‘राफेल मरीन’ स्की टेक-ऑफ के लिए चार-पांच टन तक बाहरी भार (पूर्ण आंतरिक ईंधन के साथ) ले जा सकता है।
राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन को भरोसा है कि राफेल एम भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के लिए उपयुक्त होगा। राफेल एम का इस्तेमाल अभी भी ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं कर रही हैं। भारतीय नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी जरूरतों को काफी बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है। भारतीय नौसेना 43 पुराने रूसी फाइटर जेट मिग-29के और मिग-29के यूबी को अपने बेड़े से हटाना चाहती है।