खूंटी। कभी घोर उग्रवाद का दंश झेल चुके तोरपा प्रखंड का एक अति पिछड़ा गांव है गुफू, जहां जाने के लिए आज भी एक भी पक्कीे सड़क तक नहीं है। आज इस गांव ने मेहनत के बल पर आम उत्पादन में खूंटी जिला और झारखंड ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना ली है।
गुफू गांव खूंटी जिले का सबसे बड़ा आम उत्पादक गांव बन गया है। आज भी गांव में 20-25 एकड़ में बाग आम की खुशबू से महक रहे हैं। गांव में मालदा, आम्रपाली सहित अन्य किस्मों के सैकड़ों पेड़ों पर आम इस तरह लटके हुए हैं, जिसे देखने की एक अलग ही अनुभूति होती है।
गांव के आम उत्पादक किसान महेश्वर सिंह बताते हैं कि आम के कारण आज पूरा गांव आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गया है। गांव के किसानों ने स्वयंसेवी संस्था प्रदान के तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण लेकर सामूहिक रूप से आम की खेती शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और हर साल आम का अच्छा उत्पादन होने लगा और अच्छी किस्म का आम होने के कारण बाजार में कीमत भी अच्छी मिलने गली। अब तो रांची, खूंटी के अलावा ओडिशा के व्यापारी भी गांव पहुंच कर आम खरीदकर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए गांव में कई डोभा और तालाब का निर्माण कराया गया है। जिला प्रशासन भी गांव में आम की खेती को लगातार बढ़ावा दे रहा है। महेश्वर सिंह बताते हैं कि देश और विदेश से जब भी कोई बड़े अधिकारी राजदूत आदि बागवानी देखने खूंटी आते हैं, तो उन्हें गुफू गांव की ही आम बागवानी को जिले के अधिकारी दिखाते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन सहित कई विदेशी मेहमान और कई देशों के राजदूत इस गांव में आ चुके हैं।
17 एकड़ में लगे आम को 6.30 लाख में बेच चुके हैं ग्रामीण
महेश्वर सिंह ने बताया कि इस वर्ष रांची के डेली मार्केट के एक व्यापारी ने 17 एकड़ के बाग में लगे आम को छह लाख तीस हजार रुपये में खरीद लिया है। जिस समय आम में टिकोरे आ रहे थे, उसी समय व्यापारी ने पूरे बागान के आम को खरीद लिया है। दवा का छिड़काव से लेकर सिंचाई तक सभी कुछ व्यवसायी द्वारा ही किया जा रहा है। इसके एवज में गांव वालों को मजदूरी भी मिलती है।
तीन हजार एकड़़ क्षेत्रफल में लगी है आम की फसल
ग्रामीण विकास के क्षत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था प्रदान के अधिकारी रवि रंजन कुमार बताते हैं कि खूंटी की मिट्टी आम खासकर आम्रपाली किस्म के लिए काफी उपजाऊ है। आज खूंटी जिला आम के उत्पादन में एक अलग पहचान बना चुका है। उन्होंने बताया कि गुफू के अलावा, गोपला, बांदू, ईचा, मरचा, सोसो, सुंदारी सहित विभिन्न गांवों के तीन एकड़ क्षेत्रफल में आम की खेती की गई है। उन्होंने कहा कि मौसम की बेरुखी के कारण इस वर्ष अन्य वर्षों की तुलना आम का कम उत्पादन होने की संभावना है।