हाइपरटेंशन को हाई ब्लड प्रेशर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे अक्सर हल्के में लिया जाता है। हाई ब्लडप्रेशर किसी को भी कभी भी अपना शिकार बना सकता है। हर साल 17 मई को इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाने के लिये विश्व हाइपरटेंशन डे (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) मनाया जाता है। इस बार दिवस की थीम है अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि एक सामान्य व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/ 80 होता है। यदि ये 140/90या उससे ऊपर ज्यादा है तो ऐसी स्थिति को उच्च रक्तचाप कहा जाता है। उन्होने बताया कि उच्चरक्तचाप साइलेंट किलर के रूप में कार्य करता है जो कि व्यक्ति के शरीर को धीरे-धीरे खराब करता जाता हैI जानकारी एवं जागरूकता के अभाव में व्यक्ति इसे नजरंदाज कर देता हैI जो कि उसके जीवन के लिए खतरनाक साबित होता हैI उच्चरक्त चाप के लिए आवश्यक है कि नियमित तौर पर इसकी जांच कराई जाये ताकि इसे नियंत्रित रखा जा सकेI उन्होंने कहा कि रोजाना करीब एक घंटे शारीरिक व्यायाम, योगा व प्राणायाम करें। खाने में कम व संतुलित मात्रा में नमक का प्रयोग, कम वसा वाले भोजन के इस्तेमाल से मानसिक तनाव से बचा जा सकता है।
गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ वीपी शाक्य बताते हैं की हाइपरटेंशन या उच्चरक्तचाप भारत में आज एक गंभीर समस्या बनता जा रहा हैI इसलिए इसके बारे में जानकारी एवं जागरूकता बहुत आवश्यक हैI उन्होंने बताया कि हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए नियमित तौर पर उच्चरक्त चाप की जांच बहुत आवश्यक हैI जिससे कि इसे नियंत्रित रखा जा सकेI कहा की विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के अवसर पर बुधवार को जिला अस्पताल सहित विकासखंड स्तर पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता हेतु विशेष स्क्रीनिंग कैंप लगाए जाएंगे, जिसमें उच्च रक्तचाप से संबंधित बीमारियों के रोकथाम के लिए जागरूक करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बारे में भी बताया जाएगा।
क्या कहते हैं आँकड़े – नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के आँकड़ों की माने तो जनपद में वर्ष 2015-16 में 15 वर्ष व उससे ऊपर की 3.8 % महिलाएं सामान्य से थोड़ा ऊपर, 0.4% मध्यम से ऊपर और 0.5% सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थीं। जबकि 2019-21 में यह दर बढ़कर क्रमशः 14.1%, 5.1 % और 20 प्रतिशत हो गई है। वहीं 15 वर्ष व उससे ऊपर के 6.7% पुरुष सामान्य से थोड़ा ऊपर, 0% मध्यम से ऊपर और 0% सबसे अधिक हाइपरटेंशन से ग्रसित थे। जबकि 2019-21 में यह दर बढ़कर क्रमशः 16.8%, 5.0% और 22.1 प्रतिशत हो गई है।
केस-1
जनपद के बिधूना थाना क्षेत्र निवासी 49 वर्षीय नंदकिशोर रेलवे में लोको पायलट हैं और अमूमन गाडी के सिलसिले में शहर से बाहर ही रहते हैंI नंदकिशोर पिछले सात वर्षो से ब्लडप्रेशर एवं शुगर से पीड़ित हैं |जनवरी माह में उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दवाई लेना शुरू कर दियाI एक महीने की दवा एक साथ मिल जाती है। इससे दवाई ख़त्म होने की समस्या नहीं होती जिससे अब उनका शुगर एवं बीपी कण्ट्रोल रहता हैI
केस-2
इसी तरह दिबियापुर ब्लाक के निवासी 63 वर्षीय राम प्रकाश मजदूरी का कार्य करते हैं, वह पिछले चौबीस साल से शुगर एवं उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। विवाह न होने की वजह से परिवार में एक बूढी माँ के सिवाय और कोई भी नहीं है जो की खुद उनपर आश्रित हैंI अक्सर मजदूरी के लिए उन्हें अलग-अलग जगह पर जाना पड़ता है जिस कारण वह कई बार दवा लेने या डॉक्टर के पास नियमित जांच कराने नहीं जा पातेI कभी-कभी तबियत ज्यादा बिगड़ने पर काम करने में भी असमर्थ हो जाते हैंI प्राथमिक स्वस्थ केंद्र से उन्हें जनपद में कहीं भी हो, दवा मिल जाती है। रामप्रकाश बताते हैं की नियमित दवाई लेने से उन्हें बीपी एवं शुगर में काफी राहत मिली।