कोडरमा। जिले में नियमों को ताक पर रखकर सैकड़ों पैथोलाॅजी सेंटर संचालित हैं। जिले में मात्र 30 पैथोलाॅजी सेंटर ऐसे हैं जो, स्वास्थ्य विभाग से निबंधित हैं, जबकि यहां 300 से भी अधिक पैथोलाॅजी सेंटर धड़ल्ले से संचालित हैं। 30 को छोड़ सभी मापदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे अनिबंधित सेंटर बेखौफ होकर धड़ल्ले से जांच कर रहें हैं। इसे लेकर जिले का स्वास्थ्य महकमा और ना ही जिला प्रशासन गंभीर है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से अवैध रूप से संचालित ऐसे जांच घरों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही जांच की गई है। अवैध रूप से संचालित जांच घरों का निबंधन तो दूर बिना चिकित्सक व बिना प्रशिक्षित टेक्नीशियन के ही पैथोलाॅजी चलाए जा रहें हैं। ऐसे में यहां के जांच रिपोर्ट के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। उससे भी बड़ी बात है कि उसी जांच रिपोर्ट पर चिकित्सकों द्वारा दवा भी दी जाती है। इस तरह खुले तौर पर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर सदर अस्पताल परिसर में (पीपीपी मोड) एसआरएल जांच घर एवं सरकारी जांच घर भी है, जिसमें सभी प्रकार के जांच उपलब्ध है, इसके बावजूद भी डाॅक्टरों द्वारा कुछ मरीजों को छोड़कर अधिकांश मरीजों को जांच के लिए अस्पताल से बाहर के जांच घरों में भेजा जाता है। इससे साफ होता है कि जांच घरों द्वारा डाॅक्टरों को कमीशन की मोटी रकम मिलती है, वहीं जांच के आधार पर दवाई लिखी जाती है। यदि जांच रिपोर्ट गलत दे दिया जाए और इसपर गलत दवाई चला दिया जाए तो मरीज के स्वास्थ्य का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
सदर में है फार्मेसी एवं जन औषधि केंद्र फिर भी दवाई के लिए भेजा जाता है बाहर
सदर अस्पताल परिसर में फार्मेसी एवं प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित है, जहां विभिन्न प्रकार की दवाइयां अन्य दवा दुकानों के अपेक्षाकृत काफी कम मूल्य पर मिलता है, साथ ही अस्पताल के फार्मेसी काउंटर में जरूरी दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध है, इसके बावजूद भी सदर अस्पताल के कुछ डाॅक्टरों के द्वारा मरीजों को बाहर से दवाई लेने कहा जाता है, जिससे गरीबों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती है। बहरहाल दवाइयों में भी कमीशन का खेल जबरदस्त चल रहा है।