कोडरमा। वर्ष 2024 बीतने को है और नया वर्ष 2025 का आगाज होने जा रहा है। वर्ष 2024 कई खट्टे मीठे संदेशों को समेटे जा रही है। इन सबके बीच जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि वर्ष 2024 में अब तक जिले में विभिन्न कारणों से 244 लोगों की मौतें असमय हो गयी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध आंकड़ों की गौर करें तो सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसे में हुए, जनवरी से अब तक 99 लोगों की मृत्यु सड़क हादसे में हो गयी। जबकि सड़क सुरक्षा पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों पर सरकार लाखों खर्च कर रही है।
विभाग से प्राप्त आंकड़ों को देखा जाय तो वर्ष 2024 के जनवरी में 6 लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई, फरवरी से लेकर अप्रैल तक प्रत्येक माह 9-9 लोगों की मौतें विभिन्न सड़क हादसे में हुई, वहीं मई माह से सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़ी है, मई माह में 10 लोगों की मौतें सड़क हादसे में हुई, जून में 6, वर्ष 2024 के जुलाई माह में सर्वाधिक मौतें सड़क हादसे में हुई, जुलाई माह में 11 मौतें सड़क हादसे में हुई, अगस्त और सितंबर में 10-10, अक्टूबर में 6 जबकि नवम्बर माह में 7 और दिसम्बर में अब तक 6 लोगों की मौतें सड़क हादसे में हुई है।
सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम बन रहा है रामबाण
वर्ष 2023 के मुकाबले 2024 में सड़क हादसे में मृतकों की संख्या में आई कमी
जिला परिवहन विभाग और पुलिस व जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम, नियमित वाहन चेकिंग अभियान समेत अन्य कार्यक्रमों का सकारात्मक परिणाम अब धीरे धीरे मिलने लगा है एवं सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या में इस वर्ष कुछ कमी आयी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को गौर करें तो वर्ष 2024 में जनवरी से लेकर अब तक सड़क हादसे में 99 लोगों की मौतें हुई, जबकि पिछले वर्ष 2023 में 120 लोगों की मौतें सड़क हादसे में हुई थी, वहीं वर्ष 2022 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 135 थी, जबकि अन्य वर्षों की बात करें तो वर्ष 2018 में सड़क हादसे से 111, वर्ष 2019 में 103 और वर्ष 2020 यानी कोरोना काल में मात्र 87 मौतें सड़क हादसे में हुई थी।
तो क्या कोडरमा में बढ़ रही है आत्महत्या की प्रवृति ?
विभागीय आंकड़ों को गौर करें तो जहर खाने, फांसी और पानी में डूबने से वर्ष भर में 76 लोगों की मौतें हुई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कोडरमा जिले में आत्महत्या प्रवृति बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। पिछले वर्ष जहर खाने और फांसी से मरने वालों की संख्या 79 थी, हालांकि इस वर्ष इसमे कमी आयी है। माह वार बात करें तो जहर खाने, फांसी और पानी से डूबकर मरने वालों की संख्या जनवरी माह में 5 मामले दर्ज किए गए, वहीं फरवरी में 4, मार्च में 4, अप्रैल में 5, मई में एक, जून माह में 5 जुलाई में 11, अगस्त और सितंबर और अक्टूबर में 9-9, नवम्बर में 5 और दिसम्बर में अब तक 9 मौतें हुई है। इसके अलावे स्वाभाविक रूप से 48, हत्या से 6, करंट लगने से 10 और वज्रपात से 5 लोगों की मौत हुई है। उपरोक्त आंकड़ा सिर्फ स्वास्थ्य विभाग का है।
तनावपूर्ण जीवनशैली आत्महत्या का कारण: डाॅ. अनिल कुमार
इस सम्बंध में सिविल सर्जन डाॅ. अनिल कुमार ने कहा कि आत्महत्या के बहुत से कारण होते हैं, उनमें से तनावपूर्ण जीवनशैली प्रमुख है। आज के भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई तनाव में रहता है, उनमें से कुछ लोग तनाव झेल नही पातें है और इस तरह का कदम उठा लेते है, मगर किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या नही होता, इस तरह का कदम कमजोर लोग उठाते है, बहादुर लोग समस्या का समाधान करने के लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज से स्वस्थ्य माहौल देने की जरूरत है, साथ ही सामाजिक जागरूकता से भी इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
हिट एंड रन के 24 मामले में दिया गया मुआवजा
वर्ष 2024 के जनवरी से लेकर नवम्बर तक हिट एंड रन के 24 मामले दर्ज किए गए, जिला परिवहन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कोडरमा थाना क्षेत्र से 7, तिलैया थाना क्षेत्र से 8, चंदवारा से 4, डोमचांच से 3 और जयनगर थाना क्षेत्र से 2 मामले दर्ज किए गए। वहीं डीटीओ विजय कुमार सोनी ने बताया कि हिट एंड रन मामले में जनवरी से नवम्बर तक 24 मामले दर्ज किए गए, इन मामलों में प्रति मृतक के आश्रित को 2-2 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया गया।
क्या होता है हिट एंड रन
डीटीओ श्री सोनी ने बताया कि सड़क हादसे के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और सम्बंधित वाहन एक्सीडेंट कर घटनास्थल से फरार हो जाता है, तो इस तरह के मामले हिट एंड रन की श्रेणी में आता है। विभागीय निर्देशानुसार मृतक के आश्रित को बतौर दो लाख का मुआवजा दिया जाता है। इसके अलावे गम्भीर रूप से घायल होने पर 50 हजार रुपये बतौर मुआवजा दिया जाता है, यह राशि उक्त पीड़ित को दिया जाता है, जिसका सड़क हादसे से शरीर का कोई एक अंग स्थायी रूप से कार्य करना बंद कर दे।
नेक नागरिक के 4 लोगों को दिया गया सम्मान राशि
एक ओर सरकारें सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विविध उपाय कर रही है, तो दूसरी ओर सड़क हादसे में घायल लोगों को अविलंब चिकित्सा सुविधा मिले और तत्काल घायल की जान बचाया जा सके, इसके लिए नेक नागरिक सम्मान योजना को भी बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि लोग बेझिझक होकर घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने में मदद कर सके। इस योजना के तहत सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को यदि कोई व्यक्ति उसे हाॅस्पिटल पहुंचाता है तो न केवल उस व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है, बल्कि उसे नेक नागरिक सम्मान का पुरस्कार स्वरूप 2 हजार रुपये जिला परिवहन विभाग से दिया जाता है। इस वर्ष इस योजना के तहत 4 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावे केंद्र सरकार की ओर से 5 हजार रुपये दिया जाता है। केंद्र से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के लिए उपरोक्त चारों का अनुशंसा कर, विभाग को भेजा गया है।
वहीं डीटीओ ने बताया की पहले की तुलना में इस वर्ष सड़क हादसों में कमी आयी है, मगर यह नाकाफी है। उन्होंने बताया कि ओवर स्पीड, ट्रिपल लोड, बिना हेलमेट, सीट बेल्ट बांधे वाहन चलाने, यातायात नियमों का उल्लंघन करने, राॅग साइड वाहन चलाने, सड़कों का खस्ताहाल, शराब पीकर गाड़ी चलाने आदि सड़क दुर्घटना का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों में कमी लाने के लिए हर स्तर से उपाय किया जा रहा है। नियमित रुप से सड़क सुरक्षा कार्यक्रम, यातायात नियमों के प्रति जागरूकता अभियान, नियमित रूप से वाहनों की चेकिंग की जा रही है। वहीं उन्होंने कहा कि सड़क हादसे कम से कम हो इसके लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, मगर इसमे सामाजिक जागरूकता और दायित्वों का भी जरूरत है।
टीनएजर बाइक नही चलाये, इसके लिए माता पिता को पहल करने की जरूरत है, यदि कोई बिना सीट बेल्ट बांधे कार चला रहे हों अथवा बिना हेलमेट बाइक चला रहे हों तो घर के लोग भी इसका विरोध करें, उन्हें यातायात नियमों के प्रति जागरूक करें तो सड़क हादसे में काफी कमी आ सकती है।