रांची। भाकपा माले ने झारखंड में जल-जंगल-जमीन, विस्थापन के मुद्दे पर आदिवासी समाज के हित में लोकतांत्रिक संघर्ष करने वाले 64 जनसंगठनों पर माओवादियों से संबंध के नाम पर जांच करने के फैसले का विरोध किया है। माले ने मांग की है कि सरकार इन जन संगठनों के प्रतिनिधि से सीधे संवाद करे और इन संगठनों के द्वारा उठाए गये मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे। सरकार 64 जनसंगठनों को पुलिस निगरानी में रखी है।
माले का कहना है कि लोकतांत्रिक आंदोलनों, गरीब-गुरबों की आवाज एवं आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने के लिए यह कोई नया हथकंडा नहीं है। बेलगाम लूट और कॉरपोरेट परस्त नीतियों को जारी रखने के लिए रघुवर सरकार ने इस तरह के हथकंडे का इस्तेमाल किया था और लोकतांत्रिक आंदोलनों कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ रखा था। हेमंत सरकार के कार्यकाल में इन हथकंडों की पुनरावृति अनपेक्षित है और सरकार लोकतांत्रिक आंदोलनों और संगठनों को निगरानी से अविलंब मुक्त करना चाहिए।
भाकपा माले राज्य कमेटी मांग करती है कि विस्थापन, राशन की लूट, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के खिलाफ लड़ने वाले जनसंगठनों पर लगाम लगाने का अधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के नाम पर उन्हें प्रताड़ित करने के बजाय सरकार उनके मुद्दों को हल करने में अपने तंत्र का इस्तेमाल करे। हेमंत सरकार से अपील है कि राज्य में रघुवर सरकार की दमनकारी नीतियों को ना दुहराये।