खूंटी। कहा जाता है कि मन में कुछ करने की तमन्ना हो और लगन के साथ मेहनत की जाए, तो कोई ऐसा काम नहीं है, जिसे पूरा नहीं किया जा सके। फिर बात महिला की हो या पुरुषों की, सफलता निश्चित मिलती है और इसे सिद्ध कर रही हैं खूंटी जिले के कर्रा परखंड की लोधमा पंचायत के लोहागड़ा गांव की रहने वाली आरती देवी।
कुछ वर्ष पहले तक एक-एक पैसे के लिए मोहताज रहनेवाल आरती देवी ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर पूरे क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। आज कर्रा प्रखंड ही नहीं, जिले के अन्य क्षेत्र में आरती देवी की पहचान फूलों वाली दीदी के रूप में बन गई है। आरती देवी बताती है कि वह अधिक पढ़ी लिखी नहीं हैं। न ससुरात की अर्थिक स्थिति ठीक थी और मायका की। जब लोधमा के लोहागड़ा जैसे पिछड़े गांव में उनकी शादी हुई, तो वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित थी। पति की भी कोई बहुत अच्छी कमाई नहीं थी।
खैर किसी प्रकार दिन कटता रहा और आरती दिन भर कुछ अच्छा काम करने का तानाबाना बुनती रहती थी। उसी दौरान वह लक्ष्मी महिला मंडल के संपर्क में आई। वहां उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला विकास की योजनाओं की जानकारी मिली। महिला मंडल से जुड़ने के पहले आरती अपने परिवार के साथ खेतों में काम करती थी। इसलिए खेती के संबंध में उन्हें हल्की-फूल्की जानकारी थी, लेकिन धान, मड़ुवा,उड़द जैसी परंपरागत खेती ही परिवार वाले करते थे। इससे कोई विशेष आमदनी नहीं होती थी। बाद में महिला मंडल के माध्यम से उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से खेती की जानकारी मिली और उन्होंने इसका प्रशिक्षण भी लिया। आरती कें लगन और मेहनत को देखकर उनका चयन आजीविका कृषि सखी के रूप में हुआ।
आरती बताती हैं कि आजीविका कृषि सखी के रूप में चयन ही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट था। वहीं से उनके जीवन में परिर्वतन आने लगा। आरती देवी बताती हैं कि उन्हें उद्यान विभाग से अभिषरण के माध्यम से झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसायटी(जेएसएलपीएस) द्वारा ग्रीन हाउस उपलब्ध कराया गया।
इसके साथ ही आरीत को जरबेरा फूलों की नर्सरी भी मिली, जिसे दीदी ने अपनी मेहनत से उपजाया है और आज उनके ग्रीन हाउस में चार रंगों के फूल लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। उनकी नर्सरी के पीले, सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूल ग्रामीणों तथा व्यापारियों को खूब पसंद आ रहे हैं। आत्मसम्मान की मुस्कान लिए आरती बताती हैं कि एक फूल को वह आठ से दस रुपये में बेचती है। उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने में उन्होंने 15 हजार से अधिक फूलों की बिक्री की है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास हैं कि आनेवाले दिनों में वह 70 से 80 हजार रुपये के फुलों की बिक्री करेंगी।
उनके फूलो की मांग डेकोरेशन, शादी, पार्टी और बुके आदि के लिए होती है। उन्होंने बताया कि उनके फूलों के ग्राहक स्थानीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि खूंटी, रांची, बेड़ो, सिसई सहित अन्य जगहों के व्यापारी भी उनकी नर्सरी से फूलों की खरीदारी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता को देखकर न उनके गांव लोहााड़ा, बल्कि अन्या गांव के पुरुष और महिला किसान भी फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित हुई हैं। आरती कहती हैं कि आप में मेहनत करने का जज्बा हो और थोड़ी बहुत जानकारी है, तो आप बागवानी से अच्छी आमदनी प्राप्त कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकती हैं।